Sunday, 28 January 2018

मेरी पूर्व पीढ़ी

आज के पीढ़ी में कोई भी अपने पुरखो के बारे में जानने में रुचि नही दिखाता। लेकिन जब मैं मालपुरा के राम गोपाल बाबा से कल रात बैठकर बात कर रहा था तभी उनके मुंह से निकल पड़ा कि हमारा ओर तुम्हारा खून तो एक ही है।
मैं अचंभित सा हो गया।
कैसे??
हालांकि वो भी श्रोत्रिय ही थे मैं जानता था, पर वो क्या हमारे परिवार में से ही थे???
तब उनकी वाइफ जिन्हें मैं दादी बुलाता हुँ ओर वो, दोनों ने मुझे इस बारे में अवगत कराया।
ये पीढ़ी शुरू होती है सेकड़ो वर्ष पहले बलराम जी से।
जिनके 2 बेटे हुए। गणेश जी और एक का नाम नही पता। मां लीजिये A
गणेश जी के 2 बेटे हुए - कल्याण जी और रामनिवास जी।
A के 3 बेटे हुए - गोरु जी, जगन्नाथ जी, नंदलाल जी।
कल्याण जी के 4 बेटे हुए- मूलजी, लादुमल जी, दामोदर जी, प्रेम जी।
रामनिवास जी 2 बेटे हुए - छितर जी, राधेश्याम जी।

मूल जी की संतानें - शिवराज जी, शंकर जी, ओम जी, शम्भू जी, चंद्रप्रकाश जी।

लादु जी की संतानें - सूरज जी, रामबाबू जी, राजू जी, गिर्राज जी, पवन जी।

दामोदर जी की संतानें - मुकेश जी और कमल

प्रेम जी की संतानें - हंसराज जी, ब्रजराज जी, धर्मराज जी।

छितर जी की संतानें - रामलाल जी, लखन जी।

राधेश्याम जी की संतानें - रविन्द्र जी।

अब आते है A की पीढ़ी में - 
गोरु जी ने शादी नही की।
जगन्नाथ जी के 2 बेटे हुए - रामनिवास जी और रामकरण जी।
रामकरण जी खेड़ा गावँ near सोरण टोंक में जाकर बस गए। जिनके 2 बेटे थे कस्तूर जी और बजरंग जी।

रामनिवास जी के 4 बेटे हुए - प्रह्लाद जी, रामनारायण जी, बंशी जी और रामगोपाल जी।

A की तीसरी संतान नंदलाल जी की संतानें - हरजिलाल जी, कन्हैयालाल जी, मांगीलाल जी, 

मांगीलाल जी की संतानें - सीताराम जी और रतन जी।

कन्हैयालाल जी की संतानें - कैलाश जी।

हरजिलाल जी की संतानें - घनश्याम जी।


Wednesday, 24 January 2018

इतिहास की दुहाई??? सारे रजवाड़े, रियासते तो अंग्रेजो के तलवे चाटते थे

बहुत दिनो से इस विषय पर कुछ लिखने का मन था पर अवसर और समय की कमी मुझे वापस खींच लेती।

बॉलीवुड की सबसे महंगी फ़िल्म पद्मावती।
हाँ हो सकता है कि 1 साल पहले जयपुर में हुए फ़िल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली के साथ जो हुआ उसके बाद स्क्रिप्ट बदली है।
वाकई हम ये मानते है कि जो त्याग बलिदान और मातृभूमि के लिए जिन विरो ने खून बहाया उसे पर्दे पर नकारात्मक छवि के रूप में ना प्रदशित किया जाये।
यहां बात पद्मावती जैसी सावित्री रूपा रानी की है जिसने अपने देह को बलिदान कर दिया पर विदेशी आक्रांता को अपना शरीर भेंट नही किया।
पद्मावती को मेवाड़ में माँ के रूप में पूजा जाता है। हर साल चितोड़ की महिलाये जोहर कार्यक्रम आयोजित करती है।
ये बात अलग है कि इतिहास में पद्मावती नामका कैरेक्टर कोई था कि नही पर पद्मावती राजपुताना की शान के रूप में जगजाहिर है।
पद्मावती की कहानी को कोई डायरेक्ट अगर पर्दे पर उतारे तो क्या हर्ज है??
कुछ लोग इस बात का मजाक बनाते है कि पद्मावती फ़िल्म का नाम बदलकर पद्मावत कर दिया गया तो सिगरेट को सगरेट बोलेंगे तो उसका निकोटिन गायब हो जाएगा क्या??
उन मूर्खो को ये बताना चाहूंगा कि मूवी मालिक मोहम्मद जायसी की किताब " पद्मावत' पर आधारित है इसलिये मूवी का नाम भी पद्मावत ही किया गया।
करनी सेना राजनीति खेल रही है। बिना ट्रेलर देखे ही विरोध करना शुरू कर दिया था।
लोकतंत्र में विरोध के लिये जगह है पर हिंसा के लिये नही। वो लोग भी धमकी दे रहे है जिनको फ़िल्म देखने का शोक नही।
ट्रेलर में ही आप देख लीजिये की खिलजी को एक राक्षस रूप में दिखाया गया जो जानवरो की तरह मांस खाता है, जबकि पद्मावती को एक पवित्र, सती सावित्री किरदार में दिखाया गया है। ट्रेलर से तो ऐसा लगता है कि राजपूत इस पर गर्व करेंगे पर राजपूतों ने इस पर गर्व की बजाय राजनीति की।
करनी सेना के महासचिव खुले आम बोलते है  कि जो भी दीपिका की नाक काट कर लाएगा उसे 1 करोड़ रुपये दिया जाएगा। तब भी सरकार चुप रहती है।
दीपिका के कैरेक्टर पर हमला बोला जाता है तो भी सरकार चुप रहती है। कैरेक्टर पर उंगली क्यो भाई??
उसका कार्य है अभिनय करना और बाकी हिरोइन की तरह वो कभी किसी डायरेक्टर के सामने नग्न नही हुई है।
घूमर बजाने वालो को पीटो। सिनेमाघर को जलाओ। जो भी मूवी देखने जाय उनको बजाओ। ऐसा करके करनी सेना अपनी राजपुताना ताकत बता रही है??
आज तो हद ही हो गई जब गुरुग्राम में बच्चो से भरी स्कूल बस पर हमला किया। इनकी कायरता तो यहां दिखती है। इस पूरे वाकये में उन बच्चों का क्या दोष??
इनको लगा कि पूरे देश मे संगठन के नाम का प्रचार प्रसार और खोफ पैदा होगा पर इन्होंने ऐसी शर्मनाक हरकते कर देशभर में संगठन के लिए जो रेपुटेशन थी उसका नाश कर दिया।
पद्मावती का क्या है?? 4 स्टेट में नही चली तो क्या हुआ ।क्या विश्व के 70 देशों में भी कोई करनी सेना है??
क्या करनी सेना सुप्रीम कोर्ट और सेंसर से बढ़ी है??
ग़ांधी और बुद्ध के देश मे आम जनता और बच्चों को निशाना बनाना न्यायसंगत है??
हिन्दुओ के इतिहास से छेड़छाड़ का हवाला देने वालो सारे रजवाड़े, रियासते सब अंग्रेजो के तलवे चाटते थे। अगर उस वक्त अपनी क्षत्रिय ताकत दिखाते तो शायद आज भारत विश्वगुरु होता।