Monday, 13 February 2017

वैलेंटाइन डे - कहीं विरोध की आग तो कहीं रूमानी हवा

" किसका फ़ोन है ??'  वो बोली।

" पापा का' वो बोला

" क्या कह रहे थे ??'

" कुछ नही । बोल रहे थे तुमको एग्जाम सेंटर लेने आएंगे' वो बोला

" तो वो ओफिस है'

"हाँ '

" पर भैया आप भी तो आ सकते हो'

" नही । प्रिया मेरा इन्तजार कर रही हैं'

" भाभी को बोलदो आज मेरा एग्जाम है, आप नही जा सकते ' खुशबु ने हँसतें हुए कहा।

"आज वैलेंटाइन भी है'  रवि ने शब्दों में जोर दिया।

दोनों भाई बहिन ठहाके मार कर हंस पड़े । दरअसल एक घंटे बाद  खुशबु का एग्जाम है तो रवि ओर खुसबू नजदीकी एक पार्क में बैठे इन्तजार कर रहे थे।
साहसा समय ने करवट ली और 10 जनों का एक समूह पार्क में आ धमका।
किस लिए????
धर्म की ठेकेदारी करने।
धर्म के ठेकेदार 364 दिन चुप रहते हैं तो आखिर इस एक दिन में इनकी आँख क्यों खुलती है???? समझ से परे है।
पार्क में कोन कपल बैठा है??? निशाना बनाओ ।
अहा ! ये देखो । मिल गया शिकार । एक बेवकूप लड़का ओर उसके पास बैठा गजब का माल ।
इसी सोच के साथ सभी ने रवि ओर खुशबु की तरफ कदम बढ़ाया।

" क्यों बे । इश्क़ का धंधा करता है ??'

वो दोनों घबरा गए । वो चिल्लाने लगे । कहारने लगे । वो बार बार बस यही कह रहे की हम भाई बहिन है ।

" भाई बहिन ?? ' उनमे से एक ने दानव जैसी हसीं के साथ ठहाका लगाया ।
" तेरी बहिन है ओर मेरी जोरू ....केसा लगा ???'

इस भद्दे कमेंट पर रवि बोखला गया ओर दे मारी एक मुक्की ।

बस फिर क्या था?? हुआ वही जिसकी आप कल्पना कर रहे हो। दोनों के चेहरे को इन धर्मावलंभियों ने कालिख से पोत दिया। उनकी इन हरकत पर  पार्क में बैठे सभी प्रौढ़ लोग ताली बजाने लग गए। मीडिया वाले फोटो कैमेरे में कैद करने लग गए। संस्कृति बचाने वाले अपनी इस उपलब्धि पर नारे बाजी करने लग गए। ओर बेकसूर रवि ओर खुशबु लज्जा वस मुहं ताकते रह गए।

परिणाम क्या हुआ???
पापा को एग्जाम से पहले आना पड़ा। खुशबु को एग्जाम छोड़ना पड़ा। रवि को वैलेंटाइन डेट कैंसिल करनी पड़ी ।

ऐसा ही होता है। ऐसा ही होता हैं धर्म के नाम पर राजनीती की जाती हैं।

कोई मुझे बतायेगा की क्या कसूर था रवि ओर खुसबू का ????
हर साल ऐसी घटनाएं होती हैं जो की अब आम बन गयी हैं। हर साल मोहोब्बत के पंछी इश्क़ के पौधे की रक्षा करते हुए शिकारी का शिकार बन जाते है, तब ना पौधा बचता है , ना पंछी ।

किसने कहा प्यार गुनाह हैं???? जो लोग मर्यादा ओर नैतिकता की बात करते हैं, उन्हें बताओ की भगवान श्री कृष्ण ने भी प्यार किया था ????  तो फिर वो क्यों नहीं समझते या फिर हर साल 14 फरवरी को विरोध, प्रदर्शन ओर गुंडागर्दी करना फेशन हो गया है??

जिन लोगों ने कभी उस दल की विचार धारा को जाना नही, वो बेवकूप चंद लोग भी 14 फरवरी को उस दल की रैली में शामिल हो जाते है। क्योंकि दूसरों के प्रेम जीवन से ईर्ष्या को बाहर तो निकलना है ना।
संस्कृति का बहाना लेकर दूसरों की जिंदगी बिगाड़ो ।

क्या ओचित्य निकलेगा वैलेंटाइन कार्ड जलाने से। क्या ओचित्य निकलेगा फूलों की दुकान पर तोड़फोड़ करने से। क्या ओचित्य मानु प्रेमी युगल को सरेआम बदनाम करने से। क्या ओचित्य कहे इंसानियत शर्म सार करने से।

दुख्तरान-ए-मिल्लत की प्रमुख आयशा अंद्राबी का कहना है कि वैलेंटाइन डे पश्चिमी सभ्यता की देन है जो इस्लाम में मान्य नहीं है. जाहिर है अकेले युवक-युवतियों पर खतरा सिर्फ कश्मीर में ही नहीं है बल्कि जम्मू में भी है. श्रीराम सेना ने भी चेतावनी दी है कि वो किसी भी जोड़े को ऐसा नहीं करने देंगे. श्रीराम सेना ने पिछली बार पर्चे बांट कर सभी को चेतावनी दी थी कि वैलेंटाइन डे मनाने वाले अंजाम के जिम्मेदार खुद होंगे.
सभी समुदाय इसके खिलाफ। समाज इश्क़ को जीने नही देता। समाज मोहोब्बत को दुश्मन हैं। और इश्क़ समाज के बिलकुल उलट है.... यहां गुरुकुल के तीन नियम नही लगते- परंपरा, प्रतिष्ठा ओर अनुशासन 😊😊

क्या मैं पूछ सकता हूँ क्या प्रेम के बिना जीवन चल सकता है? इस सवाल का बड़ा सटीक जवाब ओशो ने दिया था। उन्होंने कहा, ` प्रेम के बिना जीवन पैदा ही नहीं हो सकता, चलना तो बाद की बात है..

फरवरी के दूसरे हफ्ते में, जब मीडिया में अचानक वैलेंटाइन विमर्श जोर पकड़ने लगता है, यह जवाब बार बार बूझा जाना चाहिए। किसी भाव का उत्सव मनाने के लिए पूरे साल क्यों इंतजार किया जाए‍? दिया जलाने के लिए क्या दीवाली की प्रतीक्षा करें? गले मिलने के लिए होली की बाट जोहें? प्रेम के लिए भी प्रतीक्षा संभव नहीं...... मैं बोलता हूं हर दिन वैलेंटाइन मनाओ। ओर भारत को पाश्चात्य संस्कृति से बचाने वालो! आप भी हर दिन विरोध जताओ।
फिर देखते है जीत किसकी होती हैं!
मोहोब्बत की या परंपरा की ।

मोहोब्बत को झुकना पसंद नही है। अगर मोहोबत झुकती तो आज कृष्ण के आगे राधा का नाम नही आता, पैगम्बर मोहम्मद साहब अपने से 15 साल बड़ी महिला से शादी नही करते , भारत की 99.90 % फिल्मे लव स्टोरी पर केंद्रित नही होती, अनार कली ओर सलीम की कहानी जिन्दा नही रहती, बाजीराव ओर मस्तानी पर फिल्मांकन नही होता, रोमियों ओर जूलियट हर किसी की लबों पर नही होता।

प्यार किया नही जाता, प्यार हो जाता हैं। इसलिए जो लोग खुश हैं, खुश रहने दीजिए। मै जानता हूं कुछ लोगों को मेरा ब्लॉग पढ़कर गुस्सा आ रहा हैं..... लेकिन इस गुस्से को अपनी जेब में रखिए। असहिस्णुता का परिचय मत दीजिये। मोहोब्बत के पंछी है, निशाना लगाओगे तो चुक जाओगे। आजाद फ़िज़ाओं में उड़ना इनकी फितरत में हैं....... ओर तुम बेरोजगार, ईर्ष्यालु ओर गवारों के लिए चट्टान की तरह एक जगह बना रहना ही काफी है ।

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