Sunday, 16 April 2017

कश्मीर में सेना के हाथ खोल दे सरकार

कश्मीर------ आजाद भारत का सबसे विवादित प्रदेश-----   ३ चीज़े जिनको आज तक कोई समझ नहीं पाया---- पहली ऒरत दुसरा बाप का दिल ओर तीसरा कश्मीर सम्मस्या-----  हमारे मुल्क में ऐसे भी विद्वान बैठे है जो बस कश्मीर का प्रारम्भ से आज तक का घटनाक्रम जाने बगेर बड़ी बड़ी ढींगे हांकते है ----- आप दूर न जाईये----यहां तक की  हमारे नेता  भी पूरा कश्मीर विश्लेषण को परिभाषित नहीं कर सकते ----- वो सिर्फ इतना जानेंगे की  कश्मीर को पकिस्तान  हड़पना चाहता है----- उनको ये भी इसलिए याद रहा क्योंकि उनके  जेहन में बॉलीवुड के विख्यात नायक सन्नी देओल का एक  डायलॉग बैठा हुआ है " दूध मांगोगे तो खीर देंगे और कश्मीर मांगोगे तो चिर  देंगे" बाकि कश्मीर मामले में वो जीरो है---- इन लोगों से पूछो तो सही की क्या है कश्मीर? आखिर कश्मीर का इतिहास क्या है ? कश्मीर को धरती का स्वर्ग क्यों कहा जाता है? कश्मीर के लोग किस आजादी  की मांग कर रहे है????
चलिए छोड़िये----- एक सवाल पूछता हूँ ??? अफजल गुरु को आप आतंक वादी कहोगे या  अलगाव वादी ???  'शुक्रवार सुबह मेने अपने एक दोस्त अरुण को यही सवाल पूछा तो उसने इस विषय पर कोई भी टिपण्णी करने से इनकार कर दिया----- अंततः उसने जाते जाते इशारा दिया की अगर आप विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद पर हमला करोगे तो निश्चित रूप से उसी आतंक वादी ही कहेंगे------ बेशक अरुण का जवाब सही हो सकता है लेकिन लाखो कश्मीरी यही मानते है की बोम तो भगत सिंह ने भी संसद में चलाया था ----- तो क्या भगत सिंह को भी आतंक वादी कहा जाये???? बात तो ये भी सही है भगत सिंह ने भी स्वतंत्रता के लिए  ये कदम उठाया और अफजल गुरु ने भी इसी उद्देश्य के लिए.... लेकिन एक बात आपको समझनी पड़ेगी की जिस भगत सिंह की आप अफजल गुरू से तुलना कर रहे हो वो उस देश का वासी था  जिसने जालिया वाला कांड का दर्द देखा है    ---- जिसने लाखो किसानों को  कर्ज की आड़ मे दम तोड़ते देखा है--- जिसने ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा हिंदुस्तान को गुलामी की जंजीरो में बांधते देखा है-----

चलिए छोडिए। आज हम इस विषय पर बात नही कर रहे.... दरअसल इन दिनो  कश्मीर क्राईसीस  उच्च गति से आगे बढ रहा हैं.... सबसे पहले बुरहान वानी की मौत के बाद १०० दिनो तक घाटी सुलगती रही...और उसके बाद जनरल रावत का बयान जिसमें उन्होने स्पष्ट किया था कि अगर घाटी के स्थानिय नागरीक अलगाववादियों को बचाने का या फिर उनका साथ देते हैं तो उनके साथ भी वैसा ही व्यवहार  किया जाएगा जो अलगाववादियों के साथ किया जाता हैं.... मुझे एक बात बताईये... आखिर क्या गलत कहा जनरल ने??? सही तो हैं... जाहिर सी बात हैं कि अगर आप अलगाव या आतंक वादियों का साथ देते हैं तो क्या आप निर्दोष हैं???? आपको भी तो आंतकवादी ही कहा जाएगा... बस फिर क्या था....शुरू हुआ पत्थरबाजो का खेल..सेना के जवान पर स्थानीय नागरिको  द्वारा जमकर पत्थर बरसाए गए .... गनिमत हैं कि सेना के हाथ  भी राजनीतिक जंजीरो से बंधे हैं अन्यथा जनरल रावत को जनरल डायर बनने में देर नही लगती....  और जिस तरह माहौल खराब होता जा रहा हैं लगता तो यही हं कि हमारे हालात भी सीरिया और मिश्र जैसे होने वाले हैं जहां सेन्य शासन देखा जा रहा हैं.....फिर कोई थल सेना अध्यक्ष किसी सत्ताधारी नेता की नही सुनेगा....  मजे की बात यह हैं कि देशविरोधी ताकते न सिर्फ घाटी में हैं बल्की दिल्ली और पटना तक भी आ गई..... आखिर क्या हो रहा हैं राम तेरे देश को..... पहले इरान अलग हुआ....फिर १३ वीी संदी में अफगानिस्तान....फिर म्यामार...नेपाल , भुटान, पाकिस्तान,  बांग्लादेश और अब पृथक होने की राह पर बढ रहा हैं कश्मीर.... हम हमेशा चुप रहे.....चुप थे....और यही कारण रहा कि आज हमारे पास में ताकत नही हैं..... और दो कोडी के स्नेपचेट के सीइओ भारत को एक गरीब राष्ट्र करार देता हैं....  नेता अपनी राजनीति करते हैं ...आम आदमी कहता हैं कि इन मुद्दो पर हमारा क्या काम....हमें तो दो वक्त की रोटी मिल जाए वही बहुत है..... बिसनेस मैन और सेलेब्रेटीज तो अपने व्यापार के चलते चुप रहना पंसद करते हैं....तो बचा कौन???? कार्यकर्ता???? वो भी तो नेताओें के चमचे हैं..... कुल मिलाकर देश बंटने जा रहा हैं.... कश्मीर में फारख अदुल्ला इन पत्थरबाजों के समर्थन में कहते हैं कि ये तो क्रातिकारी हैैं.... महबुबा भी तो सत्ता से पहले तक अलगाववादियों का समर्थन करती थी.... वो तो कुर्सी बचााने के चक्क्कर में ख्ुालककर सामने नही आ रही..... अब बडा सवाल ये खड़ा होता हैं कि आखिर इन पत्थरबाजो को पैैसे कोेन देता हैं....???? चलिए छोडिए पहले ह बता दिजीए कि पत्थर कौन देता हैं? 
NIA सूत्रों की मानें तो ISI ने पत्थरबाजों की फंडिंग के लिए पीओके में बाकायदा फंड मैनेजर तैनात किये हैं. ये एजेंट सरहद पर सामान के आदान-प्रदान की फर्जी इन-वॉयसिंग का सहारा लेते हैं. आयात और निर्यात के सामान की कीमत कम करके दिखाई जाती है और बाकी पैसे का बड़ा हिस्सा अलगाववादियों तक पहुंचाया जाता है
एबीपी न्यूज की खबर पर यकीन करें तो इस तरीके से अब तक गड़बड़ी फैलाने वालों को 75 करोड़ रुपये दिये गए हैं. इसमें 10 करोड़ सिर्फ इसी साल कश्मीर पहुंचाए गए हैं.
जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख एसपी वैद्य कहा कि पाकिस्तान आईएसआई कश्मीर घाटी में बेकसूर लड़कों को घर से निकलने और गोलीबारी स्थल पर जाने के लिए भड़का रहा है।डीजीपी ने प्रदेश के युवाओं से अपील भी की है कि वो एनकाउंटर के वक्त घर पर रहें क्योंकि गोलियां ये देखकर नहीं लगती कि कौन है। रिकार्डेड मैसेज हैं जिससे संकेत मिलता है कि जैसे ही मुठभेड़ शुरू होती है पाकिस्तान प्रचार तंत्र तुरंत सक्रिय हो जाता है। ’’ सिंह ने कहा कि यह प्रशासन और नागरिक समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि कश्मीर के युवाओं को हकीकत समझाई जाए। खुफिया कैमरे पर भाड़े के इन पत्थरबाजों ने कबूल किया कि पैसे लेकर वो कश्मीर में कहीं भी पत्थर या पेट्रोल बम फेंक सकते हैं. पत्थर फेंकने के बदले इन्हें पैसे, कपड़े और जूते मिलते हैं. ऐसे ही पत्थरबाजों की मिलीभगत से पिछले साल बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद तीन महीने तक पूरा कश्मीर सुलगता रहा था.









अभी इन दिनो एक और मुद्दा जोर पकड़ रहा हैं.... और वो हैं ‘‘ जवानो का दर्द सुनो’’...... दरअसल बात ये हुई कि कश्मीर में एक स्थल पर उपचुनाव था तब वहां की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारतीय सेना की टुकड़ी से कुछ जवानो को भेजा गया जहां पर स्थानीय नागरिकों ने उनके साथ अभ्रदता का परिचय दिया.... उनके साथ मारपीट की गई..... ये बडा गम्भीर मसला हैं....कि विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र और संसार की तीसरी सबसे बडी सेना की वर्दी पर दो कोडी के चंद व्यक्तियों ने हाथ डाला.... मजाक समझ रखा हैं क्या भारतीय सेना को???? .... जिस दिन अपने असली रंग मे उतर आई तो कश्मीर मांगने वालो उन पलो में आप अपनी जान की भीख मांगोगे.... ये गुस्सा मैं अकेला इंसान नही कर रहा हुुं बल्की देश का हर नागरीक पत्युत्तर दे रहा हैं.....गौतम गंभीर, कमल हासन समेत कई बड़े सितारों ने जवानों के साथ हुए व्यवहार पर नाराजगी जाहिर की थी। पहलवान योगेश्वर दत्त ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है।उन्होंने कहा कि सरकार को सिक्योरिटी फोर्सेस के हाथ खोल देने चाहिए, ताकि वे इस तरह के हालातों को अपने तरीके से हैंडल कर सकें। अगर उन्हें ये आजादी नहीं दी गई तो ये सब कभी नहीं रुक पाएगा। 

इससे पहले साउथ सुपर स्टार कमल हास ने भी जवानों के साथ जो हुआ उस पर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि भारत को इक्ट्ठा करें, मेरे जवानों को छूने का साहस करने वालों को शर्म आनी चाहिए। साहस की ऊंचाई अहिंसा है। सीआरपीएफ ने एक बढ़िया उदाहरण दिया है।

जी बिल्कुल मैं पहलवान योगेश्वर दत्त्त के विचार का समर्थन करता हुं.... सरकार को सेना के हाथ खोल देना चाहिए.... वरना माहौल तो वैसे भी बिगड़ रह हैं..... एसा न हो कि बिना सरकारी आदेश के ही इण्डिया के हर सैनिक के पास पैलेट गन नजर आए।
















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