Monday, 21 August 2017

21 Aug 2017 communication

ये 2014 के इन्ही दिनो की बात थी जब मैने कम्युनिकेशन वर्ड को पहली बार अच्छे से समझा। वो निवेदिता mam का क्लास पीरियड आता था। निवेदिता mam ने संचार शब्द को हमे इतना अच्छे से पढ़ाया था कि मैं आज भी नही भूल पाया। उनकी टीचिंग शैली के तो सब प्रशंषक है। आज भी मेने उनसे फ़ोन पर बात की थी ये जानने के लिए की मुझे mjmc करने के लिए PR स्ट्रीम जॉइन करना चाहिए या फिर जर्नलिज्म। उनकी राय थी कि मैं PR क्षेत्र में ही अपना करियर बनाऊ।
आज मेने इसी PR की पहली क्लास जॉइन की। राजस्थान विश्विद्यालय। जनसंचार विभाग। ऋचा मेम।
ऋचा मेंम को देखते ही मुझे निवेदिता मेंम की याद आ गई। बिल्कुल उन्ही की तरह उनका ड्रेस कोड। उन्ही की तरह भाषा शैली। उन्ही की तरह उनका हर शब्द को जोर देकर बोलना। उन्ही कि तरह हर शब्द को खोलकर स्टूडेंट को समझाना।
आज ऋचा मेंम ने उन्ही की तरह कॉम्युनिकेशन विषय पर चर्चा की। क्लास में 3 ही स्टूडेंट थे। मैं, तनु & किशोर।
क्योकि किसी ने PR में इंटरेस्ट नही दिखाया।
चलो कोई बात नही !
मैं कॉम्युनिकेशन के बारे में पहले से जानता था।
बेहिचक बता दिया कि एक पक्ष से दूसरे पक्ष की ओर कोई सूचना, योजना, आईडिया का किसी माध्यम से या बिना माध्यम पहुंचाना संचार है।
हम अगर मन मे बात कर रहे है तो वो भी एक संचार है।
भगवान से कुछ मांग रहे है तो वो भी एक संचार है।
घड़ी की टिक टिक करती सुइयां भी संचार का अंग है।
सूरज के डूबने या चलने को भी संचार कहेंगे।
ट्रैफिक लाइट भी संचार है।
ओर यदि संचार को एक व्यक्ति एक जन समूह तक किसी माध्यम से पहुंचता है तो वो जन संचार या मास कम्युनिकेशन कहलाता है।

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