Sunday, 10 September 2017

इतने तत्वों को ढालकर वह पत्रकार कहलाता है

पत्रकार में एक गुण नही बल्कि वह गुणों का सम्राट है। तभी वो पत्रकारिता कर पाता है। जो इन गुणों से वंचित रह जाता है वह इस पेशे से दूर हो जाता है। पत्रकारिता के विशेषताओं पर आपके आशीर्वाद से एक कविता बनाई है। मार्गदर्शन करें।


"
वह जनचेतना लाता है, वह पहाड़ो से टकराता है।
वह जागरण का प्रहरी,  वह कुरुतियाँ मिटाता है।
वह समीक्षक वह संपादक वह सहयोगी वह प्रेषक है।
शिक्षकों का शिक्षक वह, बुद्धिजीवी विश्लेषक है।।
वह लोकनायक वह लोकगुरु, वह मर्करी कहलाता है।
इतने तत्वों को ढालकर वह पत्रकार कहलाता है।


वह विचार भावना का सारथी, उसमे घटनाओं की सीरत है।
वह प्रगति शील, वह संतोषी वह निर्भीकता की मूरत है।
वह ज्ञानी है वह कर्मयोगी, वह प्रतिभा का चेहरा है।
वह भ्रमणशील वह अडिग है वह साहसी कुशल चितेरा है।
वह गुप्तचर वह वॉचडॉग, वह परिवर्तन को लाता है।
इतने तत्वों को ढालकर वह पत्रकार कहलाता है।।

वह सूंघता है, वह खोजता है, वह खोदता है, वह लिखता है।
वह संवारता है वह पकाता है, वह सजाता है, वह बनाता है।
अर्थ समाज राजनीति से सम्बद्ध, दर्शन व इतिहास का ज्ञाता है।
वह लक्ष्यनिष्ठ वह सत्यव्रती, वह नेताओं का नेता है।
वह टीकाकार, वह सलाहकार, वह साहित्यकार कहलाता है।
इतने तत्वों को ढालकर वह पत्रकार कहलाता है।। "

Friday, 8 September 2017

गाली वाली कांग्रेस

दिग्विजय सिंह।
ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव है। लेकिन इससे पहले ये मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है।
आज इनको मैं क्यों याद कर रहा हूँ??
क्योंकि आज इन्होंने कांग्रेस के लिये दायित्वपूर्ण कार्य किया।
दरअसल इनको मैं इसलिये पसंद करता था कि ये अपनी पार्टी के लिए जमकर प्रचार प्रसार करते है। सोशल साइट ओर हमेशा इनकी उपस्थिति रहती है। राहुल ग़ांधी के बाद यही है वो जो असफल प्रयास के पर्याय बन है। ये पोसिटिव कमेंट कम और सरकार की बुराई में ज्यादा लिप्त रहते है।
2014 में ये विवादों में आये थे जब इनकी एक किसिंग तस्वीर वायरल हुई थी, पत्रकार अमृता सिंह के साथ। ( घोड़े को नही मिल रही घास , गधे कहा रहे च्वयनप्रास 😂)

और शायद वो भी एक वजह बनी भारतीय कांग्रेस के पतन की। 300 से 44 पर पहुंचने की। 😀😀
उसके बाद फिर विवादों में आये जब अंतरास्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद को "जी' लगाकर संबोधित किया।
फिर तो इनका दिमाग अब ऐसा हो गया कि BJP इनको जहर लगने लगी। दिन रात ये बस bjpऔर आरएसएस के ख़िलाफ़ बयानबाजी करते रहते है।
आज क्या हुआ??

एक ट्वीट को रिट्वीट कर दिया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुटिया कहा गया है।
फिर क्या था , चहुँ ओर इनकी आलोचना शुरू हुई। राष्ट्रवादी पत्रकार रोहित सरदाना ने अपने शो " ताल ठोक के ' में इस मूददे को उठाया। फिर "आर पार ' में अमिश देवगन ने भी इस पर डेबिट की।
ट्विटर पर भी #gaaliwalicongress का ट्रेंड चला।

बात यह है कि जब विरोध ज्यादा बढ़ा तो ये भड़कते हुए ट्वीट करते है कि bjp मुझे संस्कार ना सिखाये। ' एक पत्रकार ( गौरी लंकेश) को कुतिया कहने वाले को तो प्रधानमंत्री फोलो करते है। और ग़ांधी को गाली देते है।

वैसे दिग्विजय सिंह जी। ग़ांधी को गाली देना भी अब सम्मान की बात है। 😂😂
और आपके संस्कार की क्या बानगी दे। आप दुर्दांत हत्यारे ओसामा को जी कहके संबोधित करते है। हाफिज सईद को हाफिज साहब बोलते है। देश के pm को गुंडा ओर चुटिया बोलते है। इससे अच्छा संस्कार क्या होगा??
वो कांग्रेसी ही है ना मणिशंकरअय्यर जो पाक में बैठ कर हिंदुस्तान को मिटाने की सुपारी दे कर आया था ।
अलगाववादियों के यहां ये दावत उड़ाते हैं।
महिला का सम्मान करना हर हिंदुस्तानी का फर्ज बनता है साहब।
लेकिन आतंकी ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कहना कौन सिखाता है।
वोट के लिए ओसाम जी wow...
असल मे 2014 के बाद कॉंग्रेस का इतनी तेजी से शीघ्र पतन हुवा कि उस के नेता शर्मनाक गाली देने लग गये,
यही है बौद्धिक दिवालियापन। 😂😂
ओर मजे की बात ये है कि राहुल के साथ-साथ दिग्विजय सिंह भी 'कांग्रेस मुक्त भारत अभियान' में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं।
सांसद हो के ऐसी बाते करता है, सामाजिक मूल्यों को ताक पर रख दिया शर्म कर दिग्विजय।
सही बताऊ तो इनका दोष नही हैं ये उनके DNA में हैं ये उनके वंसज हैं जिसने 1857 की क्रांति में अंगेजो का साथ दिया था।

पति,पत्नी में ज्यादा उम्र का फासला नही होना चाहिए साहब, नही तो वो अपनी frustration प्रधानमंत्री को गाली दे कर निकालता है।😂😂


ओर आपकी पार्टी के बारे में क्या कहूँ... Congress पार्टी मे सिर्फ नेता बचे है ईन्हे वोट देने वाले नहीं ये खटारा बस टाईप की पार्टी है अब देश को ईससे आजादी चाहीये! आज के समय मे कांग्रेस खुद में एक गाली है।  मैं तो बोलता हूं किसी को राहुल ग़ांधी बोल कर देखो, वो भड़क न जाये तो कहना😂😂।

मोदी जी को गाली देते देते काग्रेस ने देश का प्रधानमंत्री बना दिया।अब क्या चाहती कि काग्रेस का अस्तित्व ही खत्म हो जाय ।
जिंदगी भर एक ही परिवार की दलाली करने वाले Pigविजय से और क्या उम्मीद की जा सकती है।

रही बात Bjp की। तो ध्यान दीजिये।
BJP ने दयाशंकर को 1 अभद्र टिप्पणी पर पार्टी से निकाल दिया
वही कांग्रेस PM समेत देश की जनता को गाली देने वाले pigविजय की पीठ ठोक रही है।
क्या कहूँ साहब।
गाली खाने लायक लोग
आज गाली दे रहें हैं

इसे ही कहते हैं सबका विकास 😀😀 । 

Wednesday, 6 September 2017

गौरी लंकेश। must read #starlingjyoti_opinion

गौरी लंकेश की हत्या भारतीय पत्रकारिता पर करारा तमाचा है। हमे सोचना चाहिए कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर ये हमला कहाँ तक न्याय संगत है। इसके विरोध में आवाज उठानी चाहिए, उठनी चाहिए, उठती रहेगी.. आइये हम शोक उत्पन्न करे क्योंकि एक पत्रकार की हत्या हुई है। लेकिन पत्रकारिता का दूसरा नाम निष्पक्षता भी है। क्या हम गौरी लंकेश को निष्पक्ष कहे?? जिसने JNU विवाद पर ट्वीट कर कहा था कि कन्हैया मेरा बेटा है और तब तक रहेगा जब तक आरोप साबित नही हो जाते।
ये वही गौरी लंकेश है जो दिन भर 24 घंटे इसके दिमाग मे  केजरीवाल की तरह RSS ओर BJP भरा रहता है। ये कभी पॉजिटिव नही लिखती बल्कि हर बार नफरत फैलाने वाले लेख लिखती है ।
मैं RSS का समर्थक नही हूँ पर एक बात है जो बताना चाहता हूं। केरल में RSS कार्यकर्ता की हत्या पर इसने ट्वीट किया था - " स्वच्छ केरलम '
समझ सकते है वो कोई पत्रकार नही बल्कि एक विचारधारा की समर्थक थी। गौरी लंकेश कि हत्या राष्ट्रवादी पत्रकारीता नहीं।एक पर्टीकुलर मावोवादी विचारधारा की पत्रकारीता करने वालों की हत्या है।
गौरी लंकेश हत्याकांड पर हमे भी उतना ही संवेदना और दुख है, जितना वामियों को नक्सली हमले मे शहीद 85 CRPF जवानो के लिए हुआ था।।
वो लंकेश जितना बड़ा राक्षस था उससे बड़ा विद्वान ,ब्राह्मण और सनातनी था ये सनातन विरोधी।
माननीय राहुल ग़ांधी कहते है कि सच को आवाज को दबाया नही जा सकता। पर शायद भूल गए कि कर्नाटक में इन्ही की सरकार है।
अभी तक तो पुलिस को भी नहीं पता कि गौरी लंकेश कि हत्या किसने कि,
लेकिन पप्पू ने पहले ही भाजपा को दोषी बना दिया
इसीलिए तो इसे पप्पू कहते हैं।
विडंबना देखिए कि #गौरी लंकेश को निष्पक्ष पत्रकार बताने वाले साथ में ये भी कह रहे हैं की उनकी हत्या उनके बीजेपी विरोधी लेखन की वजह से हुई है।
सबसे बड़ी बात - कब्रिस्तान में दफनाया गया है गौरी जी को।
आइये 2 मिनट का मौन रखे।

Monday, 4 September 2017

ताजमहल यात्रा


आगरा शहर उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरो में एक है । मुगल बादशाह के असीम प्रेम का प्रतीक ताजमहल के  कारण आगरा मधुयामिनी मनाने (Honeymoon Desination) वालो के लिए आदर्श पर्यटक स्थल बन गया है, वैसे दुनिया भर के अधिकतर लोगो इच्छा होती है कि अपने जीवनकाल में इस खूबसूरत ताजमहल का एक दीदार अवश्य करे। भौगोलिक द्रष्टि से यह प्रदेश के पश्चिमी इलाके में यमुना नदी के किनारे बसा हुआ काफी बड़ा शहर है । आगरा शहर पश्चिम में  राजस्थान और दक्षिण पर मध्य प्रदेश सीमा से घिरा हुआ हैं ।   आगरा को भारत के अधिकतर छोटे और बड़े शहरो से बखूबी जोड़ते है । अभी कुछ साल पहले निर्मित भारत का आधुनिकतम एक्सप्रेसवे छह लाइन यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway Agra - Greater Noida 165km ) ने दिल्ली को और नजदीक ला दिया है । 
हम सब ताजमहल के मुख्य द्वार के सामने खड़े थे ! हमने रिंकू को टिकट लेने भेजा क्योंकि वहां महिलाओं की लाइन कम लगी थी। टिकट की रेट पहले 20 रुपये थी पर अब 40 हो गई। बिना आइडेंटी के आपको टिकट नही मिलेगा।  हमने हमारे बैग एक समान ग्रह में जमा करवा दिया था। टिकट लेकर हम अंदर जाने वाली लाइन में खड़े हो गए ! ताजमहल के अंदर जाने के लिए वैसे तो काफ़ी लंबी लाइन लगी हुई थी पर हमारा नम्बर जल्दी आ ही गया था। हम सब फटाफट चैकिंग के पश्चात ताजमहल परिसर में दाखिल हो गए ! ताजमहल परिसर में पहुँचने पर बीच में तो मुख्य सड़क है और दोनों तरफ लाल पत्थरों से बने बरामदे है ! थोड़ी देर वहाँ के नज़ारों का आनंद लिया, थोड़े फोटो खींचे, और फिर मुख्य दरवाजे की ओर चल दिए ! मुख्य दरवाजा इतना विशाल है कि हम लोग बनाने वाले कारीगर की तारीफ़ किए बिना नहीं रह सके ! इस दरवाजे से देखने पर सामने ताजमहल का जो विहंगम दृश्य दिखाई देता है उसे शब्दों में बयाँ कर पाना मुश्किल है ! 
यहाँ से दो रास्ते ताजमहल की ओर जाते है, हम लोग अपनी बाईं ओर वाले रास्ते पर चल दिए ! इस रास्ते पर थोड़ा आगे बढ़ने पर एक रास्ता आपके बाईं ओर ताजमहल संग्रहालय तक जाता है, हम इस रास्ते को अनदेखा करके सीधा ताजमहल की ओर चल दिए ! वही पर हम मेरे कैमरा में फोटोज कैद करने लगे। सभी अलग अलग स्टाइल में फ़ोटो लेने लगे। हज़ारों की संख्या में आबादी थी इसलिए हमें फ़ोटो लेने में भी तकलीफ आ रही थी। पर हम लेने लगे। धूप भी काफी थीकि थी।
ताजमहल जाते हुए रास्ते में एक चबूतरा है और उसके साथ ही पानी का एक छोटा सा कुंड है ! इस चबूतरे से ताजमहल काफ़ी नज़दीक दिखाई देता है, इसलिए सभी लोग यहाँ उठ-बैठ कर फोटो खिंचवा रहे थे ! हम लोगों ने भी इस चबूतरे पर बैठ कर कुछ फोटो लिए ! यहाँ से आगे बढ़े तो ताजमहल के नीचे वाले गलियारे में पहुँच गए, जहाँ ताजमहल जाने के दो रास्ते है ! बाईं ओर वाला रास्ता विदेशी पर्यटकों और गणमान्य लोगों के लिए है, हम जैसे साधारण पर्यटकों के लिए दाईं ओर से जाने वाला रास्ता है ! अब हम तो ठहरे आम नागरिक, बिना कुछ सवाल जवाब किए कहाँ मानने वाले थे, वहाँ खड़े एक सिपाही से प्रश्नों का सिलसिला शुरू कर दिया ! 2-3 प्रश्नों के जवाब तो उसने सरलता से दिए उसके बाद वो झल्ला पड़ा ! 
हमें लगा इससे उलझने में कोई भलाई नहीं है इसलिए हम सब अपनी दाईं ओर चल दिए ! इस रास्ते पर आगे चलकर जूते-चप्पल रखने की व्यवस्था भी है ! ताजमहल के मुख्य भाग में जूते-चप्पल पहन कर जाना प्रतिबंधित है, पहले मैं सोचता था कि ये मंदिर तो है नहीं, फिर जूते-चप्पल पहन कर जाने पर क्यों मनाही है ! फिर बाद में पता चला कि जूते-चप्पल से ताजमहल के संगमरमर घिस कर अपनी चमक खो सकते है ! इसलिए या तो आपको अपने जूते-चप्पल ताजमहल परिसर के पास ही बने जूताघर में रखने होंगे या फिर यहाँ आते हुए आपको रास्ते में ही नरम कपड़े के खोल मिल जाएँगे ! इन्हें आप अपने जूतों पर पहन सकते है, ताकि संगमरमर पर आपके जूतों के निशान ना पड़े ! आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ कि ताजमहल के चारों और लोगों के चलने के लिए चौड़ा गलियारा बना हुआ है, ताजमहल के पीछे यमुना नदी भी बहती है ! 
हम लोगों ने अपने जूते बाहर जमा किए और इन गलियारों का चक्कर लगते हुए ताजमहल के अंदर दाखिल हो गए ! ताजमहल में लगे झरोखों से देखने पर मुख्य द्वार तक का नज़ारा साफ दिखाई देता है ! काफ़ी देर घूम लेने के बाद हम लोग बाहर आकर गलियारे में एक चबूतरे पर बैठ गए ! सितंबर का महीना, ऊपर से बारिश नही, बदल नही, तिकी धूप। हम लोग तो ताजमहल के साथ-2 लाल-किला और बुलंद दरवाजा भी देखने की योजना बनाकर आए थे ! पर गर्मी की वजह से अब और ज़्यादा चलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। हम सब वहां से चल दिये और लाल किले के सामने खाना खाया। वो भी तख्त पर बैठकर। तंदूरी रोटी, ओर मटर आलू की सब्जी। उसके बाद हमने सोचा कि यहां आए तो आगरा की फेमस चीज़ " आगरा के पेठे' तो लेके ही चले। वरना घर पर क्या मुह दिखाएंगे। हम सब ने लगभग 100 रुपये के पेठे खरीद लिए।
सच कहों ताज की एक झलक वोह सारी परेशानिया भुला देती है.....वोह दुधियाँ रंग में रंगी इस इमारत जिसका अपनाही नूर था.
एक रूहानी सीकशिश है उसमे उसके पीछेबहती यमुना और उसकेऊपर वोह साफ़ चमकताहुआ आसमान उसे देखकरता लगता है की इंसानप्रदूषण जैसी चीज़ सेवाकिफ ही नही....जितनाइसे निहारो उतना कम....
शाम की 7 बजे की हल्दी घाटी पैसेंजर से हम सवाई माधोपुर लौट आये। उससे पहले लाल किले के पास वाले गार्डन में 3 घंटे बिताए। लाल किले का विश्लेषण किया। तमाम तरह के कयास लगाया। 











मथुरा वृन्दावन यात्रा

ये 4 दिन की यात्रा थी। हालांकि मैं मथुरा, वृन्दावन ओर गोवर्धन जी 2013 में भी जा आया हूँ। पर इस बार हम गौकुल भी हो कर आये है। मन मे बस अब बरसाना ओर नंदगांव ही बचे है, जँहा पर अभी तक हम नही गए।
दरअसल हम 11 लोगों का ग्रुप था। रवि, चंदन, रिंकू, विनोद मामाजी, उनके बच्चे, विनोद मामाजी के रिलेटिव।
हमने मथुरा से एक गाड़ी की जो लगभग 1600 रुपये में तय हुई। जिसने हमको गौकुल, मथुरा, वृन्दावन ऒर गोवर्धन जी के मंदिर के दर्शन कराए।
बाकी सब ठीक था पर हम गोवर्धन जी की यात्रा नही कर सके। क्योंकि पूरे दिन में बुरी तरह थक चुके थे।

श्रीकृष्णजन्मभूमि मंदिर मथुरा नगरी के बीचोंबीच ही स्थ‍ित है. मान्यता के अनुसार यहीं भगवान गोपाल का जन्म हुआ था. मंदिर अत्यंत प्राचीन है. इसकी सुंदरता देखते ही बनती है. मंदिर के पास बड़े गुम्बद की ओरंगजेब द्वारा बनाई गई मस्जिद देख कर दुख हुआ। चाहे अयोध्या मामला देखो चाहे मथुरा, हर हिन्दू धार्मिक स्थल पर मस्जिद बना दी गई। उनके क्या है, वो चले गए पर यहां अब विवादों को जन्म दे गए।
इसके बाद हमने झांकिया, जेल वगेरा देखी।
पागल बाबा मंदिर, जय गुरुदेव मंदिर, बिरला मंदिर भी रास्ते मे देखते हुए चले। साथ मे कैमरा था, पूरी यात्रा के दौरान 500 से ज्यादा फोटोज मेरे कैमरा में कैद हुई।
सुनाई पड़ा कि जय गुरुदेव के ट्रस्ट ने कई एकड़ सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है। जिसको अब योगी सरकार करवाई करने जा रही है। इसमें भी राजनीति का खेल है। क्योंकि जय गुरुदेव के बाद ट्रस्ट संचालक बने गुरुदेव के ड्राइवर जो अब बाबा बन चुके है, वो सपा पार्टी को सपोर्ट करते है।

मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर की आरती विशेष रूप से दर्शनीय होती है. मंदिर में मुरली मनोहर की सुंदर मूर्ति विराजमान है.

मथुरा में पावन यमुना नदी पर कई घाट बने हुए हैं. द्वारकाधीश मंदिर के पास यमुना नदी के घाट पर श्रद्धालु दर्शन-पूजन करते हैं और नौका-विहार का भी आनंद लेते हैं. 

वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर में श्रद्धालु प्रभु की कृपा पाने आते हैं. दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है. हर कोई प्रभु की एक झलक पाने को लालायित रहता है. झलझुलनी एकादसी का दिन था इसलिए हमको सिर्फह चंद सेकंडों के दरसन हुए। ये भी बहुत है। भगवान बांकेबिहारी की प्रतिमा भक्तों के सारे संताप हर लेती है. 

वृंदावन में ही दाऊजी मंदिर है. इसमें श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलरामजी की प्रतिमा विशेष रूप से दर्शनीय है.

जो भी वृंदावन आता है, वह निध‍िवन का दर्शन किए बगैर नहीं लौटता। जँहा पर भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात को यमुना किनारे गोपियों के साथ रासलीला की थी।
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण आज भी रात के वक्त राधारानी के साथ रास रचाने यहां पधारते हैं. रात को निध‍िवन पूरी तरह से खाली हो जाता है. तब यहां कोई पशु-पक्षी भी नहीं रहते.

वृंदावन का प्रेम मंदिर अत्यंत भव्य है. रात के वक्त भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं होती.  प्रेम मंदिर की सजावट एकदम खास तरीके से की गई है. रात के वक्त इसका रंग हमेशा बदलता रहता है. ऐसा कहा जाता है कि इटली के एक लव कपल ने कृपालु महाराज से संपर्क किया कि उनकी शादी हो जाये। सारी प्रॉब्लम दूर हट जाए। इस पर कृपालु महाराज ने बांके बिहारी मंदिरक दरसन की सलाह दी। जिसके बादकुछ ही दिनों में उनकी शादी हो गई। खुसी खुशी में कृपालू महाराज के ट्रस्ट को उन्होंने ने अरबों रुपये मंदिर बनाने को दिए। जिसके बाद ट्रस्ट ने अरबों रूपय का शानदार मंदिर बमय जिसे " प्रेम मंदिर ' कहा गया। जँहा लाजवाब झांकिया, गार्डन, म्यूजिकल फाउंटेन, आदि है। अब तो यह कहावत प्रचलित हो गई कि ' वृन्दावन गए तो प्रेम मंदिर नही देखा तो क्या देखा?'

वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में राधेकृष्ण की प्रतिमा एकदम मनोहारी है. जो भी इन्हें देखता है, मुग्ध हुए बिना नहीं रहता.वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में श्रद्धालु झूमते-गाते हुए प्रभु की आराधना करते हैं. यहां विदेशी श्रद्धालुओं की भी अच्छी-खासी तादाद होती है. हालांकि समयाभाव में हम यहां नही जा सके।

वृंदावन में दुनिया का सबसे ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर बनने जा रहा है. अगले 5 साल में 300 करोड़ रुपये की लागत से इसका निर्माण होने का अनुमान है. वृंदावन चंद्रोदय मंदिर की ऊंचाई 700 फुट अथवा 210 मीटर होगी. दिल्ली में 72.5 मीटर के कुतुबमीनार से इस इसकी ऊंचाई तीन गुना ज्यादा होगी. ISKCON, बेंगलुरु के श्रद्धालुओं ने इस मंदिर की परिकल्पना की है. 

इसके बाद हम आगरा की सैर पर निकले। मानस बना लिया था कि अबकी बार ताजमहल जरूर देख कर आना है।

Friday, 1 September 2017

1 sep. Failure - i got again a Failure

Failure !  today's failure Caste reservation is the biggest reason for failure. And in this spell of reservation, finally I was also trapped.
Actually I had passed the LDC Highcout with light preparations for 20 days in which my 150 marks right were out of 200 with God's grace. This examination was given in Udaipur. I was quite happy that for the computer test I became lively. I told Papa that my selection will be done. Because last time 71% had gone into the written Test.
By typing Sonma's typing master from Shantivan Computer Institute, I started typing. Initially, 17, then 20, then 25, then 28, then 30, and now about 33.
My father had a lot of expectations from me. They always kept pressure on me for typing. Whenever he wanders along the way, he comes to me and says that son does not laugh at typing.
There are millions of children in the world who have the desire of typing and they can not do the typing in the absence of laptops. After all, what is lacking in me? Papa fulfilled all my demands. Cut his belly and made me a prince. I'm one of those selected guys who have a smartphone, laptop, bike and DSLR camera. This is also my Kashmiri friend Arun who also says, "You always keep screaming middle class-2, but the right thing is that you do not have anyone near you.
I love you papa ... Being a laborer myself made me a prince. But I showed you the face of my failure again today.
Yes. Today the result of LDC highcourt came in which the General's cut off of 163 came out of 200.