गौरी लंकेश की हत्या भारतीय पत्रकारिता पर करारा तमाचा है। हमे सोचना चाहिए कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर ये हमला कहाँ तक न्याय संगत है। इसके विरोध में आवाज उठानी चाहिए, उठनी चाहिए, उठती रहेगी.. आइये हम शोक उत्पन्न करे क्योंकि एक पत्रकार की हत्या हुई है। लेकिन पत्रकारिता का दूसरा नाम निष्पक्षता भी है। क्या हम गौरी लंकेश को निष्पक्ष कहे?? जिसने JNU विवाद पर ट्वीट कर कहा था कि कन्हैया मेरा बेटा है और तब तक रहेगा जब तक आरोप साबित नही हो जाते।
ये वही गौरी लंकेश है जो दिन भर 24 घंटे इसके दिमाग मे केजरीवाल की तरह RSS ओर BJP भरा रहता है। ये कभी पॉजिटिव नही लिखती बल्कि हर बार नफरत फैलाने वाले लेख लिखती है ।
मैं RSS का समर्थक नही हूँ पर एक बात है जो बताना चाहता हूं। केरल में RSS कार्यकर्ता की हत्या पर इसने ट्वीट किया था - " स्वच्छ केरलम '
समझ सकते है वो कोई पत्रकार नही बल्कि एक विचारधारा की समर्थक थी। गौरी लंकेश कि हत्या राष्ट्रवादी पत्रकारीता नहीं।एक पर्टीकुलर मावोवादी विचारधारा की पत्रकारीता करने वालों की हत्या है।
गौरी लंकेश हत्याकांड पर हमे भी उतना ही संवेदना और दुख है, जितना वामियों को नक्सली हमले मे शहीद 85 CRPF जवानो के लिए हुआ था।।
वो लंकेश जितना बड़ा राक्षस था उससे बड़ा विद्वान ,ब्राह्मण और सनातनी था ये सनातन विरोधी।
माननीय राहुल ग़ांधी कहते है कि सच को आवाज को दबाया नही जा सकता। पर शायद भूल गए कि कर्नाटक में इन्ही की सरकार है।
अभी तक तो पुलिस को भी नहीं पता कि गौरी लंकेश कि हत्या किसने कि,
लेकिन पप्पू ने पहले ही भाजपा को दोषी बना दिया
इसीलिए तो इसे पप्पू कहते हैं।
विडंबना देखिए कि #गौरी लंकेश को निष्पक्ष पत्रकार बताने वाले साथ में ये भी कह रहे हैं की उनकी हत्या उनके बीजेपी विरोधी लेखन की वजह से हुई है।
सबसे बड़ी बात - कब्रिस्तान में दफनाया गया है गौरी जी को।
आइये 2 मिनट का मौन रखे।
Wednesday, 6 September 2017
गौरी लंकेश। must read #starlingjyoti_opinion
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