Monday, 4 September 2017

ताजमहल यात्रा


आगरा शहर उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरो में एक है । मुगल बादशाह के असीम प्रेम का प्रतीक ताजमहल के  कारण आगरा मधुयामिनी मनाने (Honeymoon Desination) वालो के लिए आदर्श पर्यटक स्थल बन गया है, वैसे दुनिया भर के अधिकतर लोगो इच्छा होती है कि अपने जीवनकाल में इस खूबसूरत ताजमहल का एक दीदार अवश्य करे। भौगोलिक द्रष्टि से यह प्रदेश के पश्चिमी इलाके में यमुना नदी के किनारे बसा हुआ काफी बड़ा शहर है । आगरा शहर पश्चिम में  राजस्थान और दक्षिण पर मध्य प्रदेश सीमा से घिरा हुआ हैं ।   आगरा को भारत के अधिकतर छोटे और बड़े शहरो से बखूबी जोड़ते है । अभी कुछ साल पहले निर्मित भारत का आधुनिकतम एक्सप्रेसवे छह लाइन यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway Agra - Greater Noida 165km ) ने दिल्ली को और नजदीक ला दिया है । 
हम सब ताजमहल के मुख्य द्वार के सामने खड़े थे ! हमने रिंकू को टिकट लेने भेजा क्योंकि वहां महिलाओं की लाइन कम लगी थी। टिकट की रेट पहले 20 रुपये थी पर अब 40 हो गई। बिना आइडेंटी के आपको टिकट नही मिलेगा।  हमने हमारे बैग एक समान ग्रह में जमा करवा दिया था। टिकट लेकर हम अंदर जाने वाली लाइन में खड़े हो गए ! ताजमहल के अंदर जाने के लिए वैसे तो काफ़ी लंबी लाइन लगी हुई थी पर हमारा नम्बर जल्दी आ ही गया था। हम सब फटाफट चैकिंग के पश्चात ताजमहल परिसर में दाखिल हो गए ! ताजमहल परिसर में पहुँचने पर बीच में तो मुख्य सड़क है और दोनों तरफ लाल पत्थरों से बने बरामदे है ! थोड़ी देर वहाँ के नज़ारों का आनंद लिया, थोड़े फोटो खींचे, और फिर मुख्य दरवाजे की ओर चल दिए ! मुख्य दरवाजा इतना विशाल है कि हम लोग बनाने वाले कारीगर की तारीफ़ किए बिना नहीं रह सके ! इस दरवाजे से देखने पर सामने ताजमहल का जो विहंगम दृश्य दिखाई देता है उसे शब्दों में बयाँ कर पाना मुश्किल है ! 
यहाँ से दो रास्ते ताजमहल की ओर जाते है, हम लोग अपनी बाईं ओर वाले रास्ते पर चल दिए ! इस रास्ते पर थोड़ा आगे बढ़ने पर एक रास्ता आपके बाईं ओर ताजमहल संग्रहालय तक जाता है, हम इस रास्ते को अनदेखा करके सीधा ताजमहल की ओर चल दिए ! वही पर हम मेरे कैमरा में फोटोज कैद करने लगे। सभी अलग अलग स्टाइल में फ़ोटो लेने लगे। हज़ारों की संख्या में आबादी थी इसलिए हमें फ़ोटो लेने में भी तकलीफ आ रही थी। पर हम लेने लगे। धूप भी काफी थीकि थी।
ताजमहल जाते हुए रास्ते में एक चबूतरा है और उसके साथ ही पानी का एक छोटा सा कुंड है ! इस चबूतरे से ताजमहल काफ़ी नज़दीक दिखाई देता है, इसलिए सभी लोग यहाँ उठ-बैठ कर फोटो खिंचवा रहे थे ! हम लोगों ने भी इस चबूतरे पर बैठ कर कुछ फोटो लिए ! यहाँ से आगे बढ़े तो ताजमहल के नीचे वाले गलियारे में पहुँच गए, जहाँ ताजमहल जाने के दो रास्ते है ! बाईं ओर वाला रास्ता विदेशी पर्यटकों और गणमान्य लोगों के लिए है, हम जैसे साधारण पर्यटकों के लिए दाईं ओर से जाने वाला रास्ता है ! अब हम तो ठहरे आम नागरिक, बिना कुछ सवाल जवाब किए कहाँ मानने वाले थे, वहाँ खड़े एक सिपाही से प्रश्नों का सिलसिला शुरू कर दिया ! 2-3 प्रश्नों के जवाब तो उसने सरलता से दिए उसके बाद वो झल्ला पड़ा ! 
हमें लगा इससे उलझने में कोई भलाई नहीं है इसलिए हम सब अपनी दाईं ओर चल दिए ! इस रास्ते पर आगे चलकर जूते-चप्पल रखने की व्यवस्था भी है ! ताजमहल के मुख्य भाग में जूते-चप्पल पहन कर जाना प्रतिबंधित है, पहले मैं सोचता था कि ये मंदिर तो है नहीं, फिर जूते-चप्पल पहन कर जाने पर क्यों मनाही है ! फिर बाद में पता चला कि जूते-चप्पल से ताजमहल के संगमरमर घिस कर अपनी चमक खो सकते है ! इसलिए या तो आपको अपने जूते-चप्पल ताजमहल परिसर के पास ही बने जूताघर में रखने होंगे या फिर यहाँ आते हुए आपको रास्ते में ही नरम कपड़े के खोल मिल जाएँगे ! इन्हें आप अपने जूतों पर पहन सकते है, ताकि संगमरमर पर आपके जूतों के निशान ना पड़े ! आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ कि ताजमहल के चारों और लोगों के चलने के लिए चौड़ा गलियारा बना हुआ है, ताजमहल के पीछे यमुना नदी भी बहती है ! 
हम लोगों ने अपने जूते बाहर जमा किए और इन गलियारों का चक्कर लगते हुए ताजमहल के अंदर दाखिल हो गए ! ताजमहल में लगे झरोखों से देखने पर मुख्य द्वार तक का नज़ारा साफ दिखाई देता है ! काफ़ी देर घूम लेने के बाद हम लोग बाहर आकर गलियारे में एक चबूतरे पर बैठ गए ! सितंबर का महीना, ऊपर से बारिश नही, बदल नही, तिकी धूप। हम लोग तो ताजमहल के साथ-2 लाल-किला और बुलंद दरवाजा भी देखने की योजना बनाकर आए थे ! पर गर्मी की वजह से अब और ज़्यादा चलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। हम सब वहां से चल दिये और लाल किले के सामने खाना खाया। वो भी तख्त पर बैठकर। तंदूरी रोटी, ओर मटर आलू की सब्जी। उसके बाद हमने सोचा कि यहां आए तो आगरा की फेमस चीज़ " आगरा के पेठे' तो लेके ही चले। वरना घर पर क्या मुह दिखाएंगे। हम सब ने लगभग 100 रुपये के पेठे खरीद लिए।
सच कहों ताज की एक झलक वोह सारी परेशानिया भुला देती है.....वोह दुधियाँ रंग में रंगी इस इमारत जिसका अपनाही नूर था.
एक रूहानी सीकशिश है उसमे उसके पीछेबहती यमुना और उसकेऊपर वोह साफ़ चमकताहुआ आसमान उसे देखकरता लगता है की इंसानप्रदूषण जैसी चीज़ सेवाकिफ ही नही....जितनाइसे निहारो उतना कम....
शाम की 7 बजे की हल्दी घाटी पैसेंजर से हम सवाई माधोपुर लौट आये। उससे पहले लाल किले के पास वाले गार्डन में 3 घंटे बिताए। लाल किले का विश्लेषण किया। तमाम तरह के कयास लगाया। 











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