Monday, 4 September 2017

मथुरा वृन्दावन यात्रा

ये 4 दिन की यात्रा थी। हालांकि मैं मथुरा, वृन्दावन ओर गोवर्धन जी 2013 में भी जा आया हूँ। पर इस बार हम गौकुल भी हो कर आये है। मन मे बस अब बरसाना ओर नंदगांव ही बचे है, जँहा पर अभी तक हम नही गए।
दरअसल हम 11 लोगों का ग्रुप था। रवि, चंदन, रिंकू, विनोद मामाजी, उनके बच्चे, विनोद मामाजी के रिलेटिव।
हमने मथुरा से एक गाड़ी की जो लगभग 1600 रुपये में तय हुई। जिसने हमको गौकुल, मथुरा, वृन्दावन ऒर गोवर्धन जी के मंदिर के दर्शन कराए।
बाकी सब ठीक था पर हम गोवर्धन जी की यात्रा नही कर सके। क्योंकि पूरे दिन में बुरी तरह थक चुके थे।

श्रीकृष्णजन्मभूमि मंदिर मथुरा नगरी के बीचोंबीच ही स्थ‍ित है. मान्यता के अनुसार यहीं भगवान गोपाल का जन्म हुआ था. मंदिर अत्यंत प्राचीन है. इसकी सुंदरता देखते ही बनती है. मंदिर के पास बड़े गुम्बद की ओरंगजेब द्वारा बनाई गई मस्जिद देख कर दुख हुआ। चाहे अयोध्या मामला देखो चाहे मथुरा, हर हिन्दू धार्मिक स्थल पर मस्जिद बना दी गई। उनके क्या है, वो चले गए पर यहां अब विवादों को जन्म दे गए।
इसके बाद हमने झांकिया, जेल वगेरा देखी।
पागल बाबा मंदिर, जय गुरुदेव मंदिर, बिरला मंदिर भी रास्ते मे देखते हुए चले। साथ मे कैमरा था, पूरी यात्रा के दौरान 500 से ज्यादा फोटोज मेरे कैमरा में कैद हुई।
सुनाई पड़ा कि जय गुरुदेव के ट्रस्ट ने कई एकड़ सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है। जिसको अब योगी सरकार करवाई करने जा रही है। इसमें भी राजनीति का खेल है। क्योंकि जय गुरुदेव के बाद ट्रस्ट संचालक बने गुरुदेव के ड्राइवर जो अब बाबा बन चुके है, वो सपा पार्टी को सपोर्ट करते है।

मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर की आरती विशेष रूप से दर्शनीय होती है. मंदिर में मुरली मनोहर की सुंदर मूर्ति विराजमान है.

मथुरा में पावन यमुना नदी पर कई घाट बने हुए हैं. द्वारकाधीश मंदिर के पास यमुना नदी के घाट पर श्रद्धालु दर्शन-पूजन करते हैं और नौका-विहार का भी आनंद लेते हैं. 

वृंदावन में बांकेबिहारी मंदिर में श्रद्धालु प्रभु की कृपा पाने आते हैं. दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है. हर कोई प्रभु की एक झलक पाने को लालायित रहता है. झलझुलनी एकादसी का दिन था इसलिए हमको सिर्फह चंद सेकंडों के दरसन हुए। ये भी बहुत है। भगवान बांकेबिहारी की प्रतिमा भक्तों के सारे संताप हर लेती है. 

वृंदावन में ही दाऊजी मंदिर है. इसमें श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलरामजी की प्रतिमा विशेष रूप से दर्शनीय है.

जो भी वृंदावन आता है, वह निध‍िवन का दर्शन किए बगैर नहीं लौटता। जँहा पर भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात को यमुना किनारे गोपियों के साथ रासलीला की थी।
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण आज भी रात के वक्त राधारानी के साथ रास रचाने यहां पधारते हैं. रात को निध‍िवन पूरी तरह से खाली हो जाता है. तब यहां कोई पशु-पक्षी भी नहीं रहते.

वृंदावन का प्रेम मंदिर अत्यंत भव्य है. रात के वक्त भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं होती.  प्रेम मंदिर की सजावट एकदम खास तरीके से की गई है. रात के वक्त इसका रंग हमेशा बदलता रहता है. ऐसा कहा जाता है कि इटली के एक लव कपल ने कृपालु महाराज से संपर्क किया कि उनकी शादी हो जाये। सारी प्रॉब्लम दूर हट जाए। इस पर कृपालु महाराज ने बांके बिहारी मंदिरक दरसन की सलाह दी। जिसके बादकुछ ही दिनों में उनकी शादी हो गई। खुसी खुशी में कृपालू महाराज के ट्रस्ट को उन्होंने ने अरबों रुपये मंदिर बनाने को दिए। जिसके बाद ट्रस्ट ने अरबों रूपय का शानदार मंदिर बमय जिसे " प्रेम मंदिर ' कहा गया। जँहा लाजवाब झांकिया, गार्डन, म्यूजिकल फाउंटेन, आदि है। अब तो यह कहावत प्रचलित हो गई कि ' वृन्दावन गए तो प्रेम मंदिर नही देखा तो क्या देखा?'

वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में राधेकृष्ण की प्रतिमा एकदम मनोहारी है. जो भी इन्हें देखता है, मुग्ध हुए बिना नहीं रहता.वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में श्रद्धालु झूमते-गाते हुए प्रभु की आराधना करते हैं. यहां विदेशी श्रद्धालुओं की भी अच्छी-खासी तादाद होती है. हालांकि समयाभाव में हम यहां नही जा सके।

वृंदावन में दुनिया का सबसे ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर बनने जा रहा है. अगले 5 साल में 300 करोड़ रुपये की लागत से इसका निर्माण होने का अनुमान है. वृंदावन चंद्रोदय मंदिर की ऊंचाई 700 फुट अथवा 210 मीटर होगी. दिल्ली में 72.5 मीटर के कुतुबमीनार से इस इसकी ऊंचाई तीन गुना ज्यादा होगी. ISKCON, बेंगलुरु के श्रद्धालुओं ने इस मंदिर की परिकल्पना की है. 

इसके बाद हम आगरा की सैर पर निकले। मानस बना लिया था कि अबकी बार ताजमहल जरूर देख कर आना है।

No comments:

Post a Comment