कुछ नया सोचते है 😊
Sunday, 29 March 2020
राजस्थान के बारे में कुछ रोचक तथ्य
Thursday, 30 January 2020
क्या वाकई अकबर महान था ?? एक किस्सा सुनिए।
Sunday, 19 January 2020
भारतीय संस्कृति ! आस्था और विज्ञान
भारतीय संस्कृति की यही विशेषता है। यहां ये आस्था के साथ शुरू होती है, तर्क चाहे कोई भी हो लेकिन विज्ञान भी मानने को तैयार हो जाता है। और इसके विरोध में आवाज नहीं उठ पाती है।
हम छठ पर्व पर उगते सूर्य को अर्ध्य देते है। वो भी जल में खड़े रहकर। सूर्य की बहिन छठ मैया की अनुकम्पा बनेगी जो बनेगी लेकिन सूर्य से उषा काल मे आने वाली फार इंफ़्रा रेंज भी हमको मिलेगी, जो फ्री का केल्शियम है। विटामिन D की प्रचुर मात्रा है। जिसके दम पर हम पूरे दिन भर कार्य कर सकते है। बिना थके। #sj_feeling
देखिये ना इस संस्कृति की विशेषता जो डूबते सूरज को प्रणाम करती है। ये बताती है कि बुजुर्ग भी हमारे लिए उतने ही पूजनीय है जितने धरती पर आए वाले नवजात।
देखिए ना। हम कहते है पीपल के पेड़ में लक्ष्मी का वास होता है। उसको पूजिये। उसको काटिये नहीं। पाप लगता है। विज्ञान भी तो यही कहता है कि पीपल का पेड़ ही एकमात्र ऐसा पेड़ है जो 24 घण्टे आक्सीजन देता है।
हम रात को पेड़ को छूते नहीं। हमारा मानना है कि पेड़ो में भी प्राण है। वो भी सोते है। विज्ञान भी तो यही कहता है कि पेड़ भी सजीव है। 😊
हमारे श्री कृष्ण ने तो पूरे गोकुल में डंका बजा दिया था कि दीवाली के दूसरे दिन इंद्र की पूजा करने के बजाय पहाड़ों की पूजा करो, वृक्षों की पूजा करो। इन्हीं से तो बारिश आती है। दीवाली के दूसरे दिन इसीलिए हम प्रकृति की पूजा करते है। उसी गोबर को खाद के रूप में खेतों में डालते है।
हम कहते है भोजन को झूठा छोड़ोगे तो अगले जन्म में अन्न नहीं मिलेगा। ये कहावत भी भोजन के सम्मान को दर्शाती है।
हम कहते है पानी को बहाओगे तो जल देवता नाराज हो जाएंगे।
वो बात अलग है कि कोई जल देवता है भी की नहीं। लेकिन ये संस्कृति सदियों से प्रकृति के संसाधनों को बचाने की अपील करती आई है। इसलिए यूनान, रोम और अन्य संस्कृतियां जहां विलुप्त हो गई, हमारी संस्कृति सदियों बाद भी जीवित है। by the way..
Happy chatt pooja 🙏
अकेले ही घूमों, लेकिन घूमो
जो अब भी हैदराबाद में रह रहे है, उनको बताना चाहूंगा कि बिना घूमे चले गए तो जिंदगी भर पछताओगे। आज के 15 साल बाद घूमने का बहाना दूसरा भी आ सकता है लेकिन ये वक्त नहीं आएगा। ये वाली सेल्फी नहीं आएगी। जब आएगी तो 2 बच्चों और बीवी या मोम डेड वाली ही आएगी। 😀#sj_feeling
एक बात ओर .... ये तो कहना ही छोड़ दो की मेरे साथ किसी ओर का वीक ऑफ नहीं होता तो अकेला क्यों घूमूं। इस बात का सबसे अच्छा उत्तर मेरे ही डेस्क के एक साथी Mukund B Kaushal ने दिया था कि अपनी खुशी किसी ओर पर डिपेंड हो तो फिर वो खुशी ही क्या। सबसे तेज भी वहीं चलता है जो अकेला होता है। बेग, सेल्फी स्टिक, छत्ता, पानी की बोतल, कैमरा ओर कुछ खाने के समान के साथ अकेले ही निकल पड़ो। सच में बड़ा अच्छा लगेगा। ज्यादा चीजों को समझोगे। किसी और पर निर्भर नहीं रहोगे। बाकी आपकी मर्जी। धन्यवाद। 😊
Ego रिश्तों को खो रहा
हम आगे होकर बात भी कर ले तो सामने से संतुष्टि पूवर्क जवाब नहीं मिलता। उस तरह की बातें नहीं होती जो पहले होती थी। फिर हम सोचते है कि चलो उड़ जाने दो इन परिंदों को। लौट आएंगे वापस। लेकिन हकीकत ये है परिंदों के लिए स्थाई आशियाने नहीं होते। जंहा कही पेड़ दिखाई दिया, उसी डाल पर घोसला बन जाता है।
यहां किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है। अरसे गुजर जाने के बाद भी कोई ये नहीं पूछता की कैसा है या केसी है।
अजीब बात है लेकिन ये सच है कि अब किसी से बात करने के लिए भी सवाल पूछने पड़ते है। जबरदस्ती व्हाट्सअप पर नाइस डीपी बोलना पड़ता है। ताकि उधर से थैंक्यू रिप्लाई आये और बात आगे बढ़े।
इसलिए फ्री का ज्ञान ये है जितना वक्त जिसके साथ मिल है खुलकर जिया जाए। और आगे भविष्य की एक्सपेक्टेशन ना रखें। हर नई डगर पर नए दोस्त बनते है, पुराने पीछे छूट जाते है। या हो सकता है हम छोड़ देते है। उन दोस्तों के बिना जीना सीख जाते है। नए लोगों में घुल जाते है। उधर से भी अब होली दीवाली का कोई msg नहीं आता, और हम भी नहीं करते। Miss you शब्द भी अब झूठ की बुनियाद पर खड़ा है।
सेलेरी बड़ी नहीं, सेविंग बड़ी होनी चाहिए !
' हप्पप्प ! लड़कों से सेलेरी नहीं पूछते'
' ठीक है मत बता। मुझे कोनसा देगा तू'
' इत्ता काहे का गुस्सा। बता रहा हूँ ना। **+ है।'
' ok तो सेविंग कितनी होती है'
' बहुत कम'
अगली वाली पंक्ति जो उसने बोली उसमें मैं सोचने पर मजबूर हो गया।
" सेलेरी क्या है ये इम्पोर्टेन्ट नहीं है। इम्पोर्टेन्ट है तुम सेव कितना कर रहे हो'
इस लाइन ने दिल जीत लिया। #sj_feeling
जब 5000 कमाते थे तब भी संतुष्ट थे, 1 लाख कमाएंगे तो भी संतुष्ट नहीं हो पाएंगे। सब चाहत का खेल है। महत्वकांक्षी दिल है ना, मानता ही नहीं।
जो 10 हजार कमाते है वो भी सेविंग कर लिया करते है। बच्चों की अच्छी शादी करवाया करते है। हम उनसे ढाई गुना कमा रहे है तो भी 'सेविंग' शब्द से अछूते है।
कृपा कहाँ अटकी है पता है??
ग्लेमर लाइफ पर। मध्यम वर्ग की सैलरी उठा कर रईसों वाले शौक ही हमारी सेलरी का बंटाधार करते हैं। मेरी पुराने ऑफिस की एक साथी थी। सेलेरी 16 हजार थी। 4 हजार पापा से मंगवाती थी। तब जाकर उसका एक महीना निकलता था। कैसे-
● बात बात पर Swiggy .... Wt a delivery 😀 .. घर पर आटा गूंथने में जोर आता है।
● गली के दूसरे छोर के लिए भी Ola cab. फिर बोलते है मोटी हो रही हूं या हो रहा हूँ। पैसे खर्च हो रहे है, चर्बी बढ़ रही है।
● हर दूसरे दिन अपने दोस्तों के साथ रेस्टॉरेंट का खाना। 400 रुपये मिनिमिम होता है।
● हर हफ्ते शॉपिंग। एक ड्रेस हफ्ते में दूसरी बार पहन लो तो कोनसा पहाड़ टूट पड़ेगा भई।
● ब्रांड की तरफ भागना। 100 रुपये वाली इयरफोन भी तो वहीं आवाज देगी। बोट रोकर्स खरीदना जरूरी है क्या।
● हर 10 दिन में मूवी।
● सिगरेट, वाइन अगर ये एक्स्ट्रा होते है तो।
सेविंग हम कर सकते है। बड़े आराम से। लेकिन अपने जीवन को सुलभ बनाने वाली भौतिक वस्तुओं और शौकिया जीवन के लिए हम नहीं कर पाते। और आखिरकार हर दूसरे व्यक्ति की तरह हमारी सेलेरी भी पहले 10 दिन में ही खत्म हो जाती है।
शिवसेना का सरकार बनाना सही कदम
जिद्द करों दुनिया बदलो। जिद्द के आगे भगवान भी झुक जाते है। जिद्द पर बुलंदियां पैरों के नीचे होती है। #Sj_thought
बाला साहेब ठाकरे ने कहा था कि एक दिन ऐसा आएगा जब कोई शिवसैनिक महाराष्ट्र का सीएम बनेगा। बाला साहेब के जिंदा रहते तो उनका ये सपना सच हुआ नहीं। अब उनके बेटे ने ये कर दिखाया। ये जिद्द नहीं होती तो ये कुर्सी नहीं मिलती। ये जिद्द ही है जिसके कारण पहली बार ठाकरे परिवार कोई संवैधानिक पद संभालेगा। इस जिद्द के आगे अमित शाह की नहीं चली।
अब अगर कोई इसे अनैतिक बताए और बड़ा बड़ा ज्ञान दे तो पहले गिरेबान में देख ले। पीडीपी के साथ गठबंधन भी तो अनैतिक था। और अभी हाल ही में NcP के साथ जो असफल गठजोड़ हुआ उसका तो क्या कहना।
शिवसेना bjp के साथ रहती तो ये सपना साकार नहीं होता। शिवसेना के हर कदम को समर्थन 🙏