क्या विपक्षी दलों का महागठबंधन BJP के 2019 का रथ रोक पायेगा?
#जरा_ध्यान_दे
भारत की राजनीति T -20 मैच की तरह हो गई है। कभी किसी बॉल पर सिक्स लगता है तो अगले ही पल आउट। फिर कोई बोल वाइड आती है तो कोई डॉट। भारत की राजनीति में इतना रोमांचक समय पहले भी आये होंगे पर ये अलग है। बेहद अलग है।
2019 की तैयारियां जोरों पर है। सभी पार्टियाँ अपने स्तर पर हाथ पैर आजमा रही है।
राहुल गांधी ने हाल ही मैं विपक्षी दलों को एक करने के लिए डिनर पार्टी का आयोजन किया। उसको इस बात का डर है कि अखिलेश ने सबको एक किया तो अखिलेश सर्व सम्मति से नेता घोषित हो जाएगा और राहुल का pm बनने का सपना, सपना ही रह जायेगा। ऐसे में राहुल गांधी हर संभव प्रयास करते नजर आ रहे है।
ममता मोदी से प्रारम्भ से ही नफरत कर रही है। केंद्र की कोई भी योजना बंगाल में घुस नही सकती , चाहे वो जनकल्याणकारी ही क्यों ना हो, नफरत बताने के लिए यही काफी है।
कुछ भी हो जाये पर वो महागठबंधन का हिस्सा पहले बनेगी।
बबुआ ने तो इक्कठे करने ही शुरू कर दिए। मायावती ओर अखिलेश को up उपचुनाव की इस जीत से नई ऊर्जा मिली है।
हर चुनाव ओर उपचुनाव को देख लीजिये। बीजेपी का मत प्रतिशत बाकी अन्य दलों को शामिल करने के बाद बने मत प्रतिशत से कम है। कहा जा सकता है कि 2019 में अगर महागठबंधन बना तो बीजेपी की हार तय है।
इस जीत ने विपक्षी एकता के साथ विपक्षीयों को ये विश्वास दिला दिया कि 2019 में मोदी शाह की जोड़ी हारेगी।
ये समझ नही आता हर पार्टी ये कहते हुए मिलती है कि हम बीजेपी को रोकने के लिए कुछ भी कर सकते है, लेकिन कोई ये क्यों नही कहता कि हम देश के विकास के लिए कुछ भी कर सकते है।
अंत मे इतना ही कहूंगा कि चाहे कितने भी महागठबंधन बन जाये, दिल्ली को गठबंधन का ग भी नही पसन्द। यहां हर गठबंधन असफल रहा है, सरकारें टूटी है।
और अन्य बात यू ही नही मोदी शाह को मास्टर कम बैक खिलाड़ी कहा जाता है। मोदी को जनसमूह को अपनी और खींचना आता है। 2019 से ठीक पहले वो कुछ ऐसा कार्य कर सकते है जो सिर्फ बीजेपी को वोट देने के लिए काफी है।
तृतीय बात। कोई भी गठबंधन सफल नही रहा है। bjp ओर शिवसेना ही अच्छा उदाहरण है। हर पार्टी की अपनी अलग अलग विचार धारा है, महागठबंधन बनने की संभावनाएं कम है। सभी पार्टी एक मत पर नही आ सकती। तृणमूल ओर वाम पार्टी तो बिल्कुल नही। द्रमुक ओर अन्नाद्रमुक भी नही। tdp ओर एनसीपी भी नही। शिवसेना और कांग्रेस भी नही।
और महागठबंधन बन भी गया और विपक्ष 2019 जीत भी गए तो 2019 में ही दोबारा लोकसभा चुनाव होंगे।
#जरा_ध्यान_दे
भारत की राजनीति T -20 मैच की तरह हो गई है। कभी किसी बॉल पर सिक्स लगता है तो अगले ही पल आउट। फिर कोई बोल वाइड आती है तो कोई डॉट। भारत की राजनीति में इतना रोमांचक समय पहले भी आये होंगे पर ये अलग है। बेहद अलग है।
2019 की तैयारियां जोरों पर है। सभी पार्टियाँ अपने स्तर पर हाथ पैर आजमा रही है।
राहुल गांधी ने हाल ही मैं विपक्षी दलों को एक करने के लिए डिनर पार्टी का आयोजन किया। उसको इस बात का डर है कि अखिलेश ने सबको एक किया तो अखिलेश सर्व सम्मति से नेता घोषित हो जाएगा और राहुल का pm बनने का सपना, सपना ही रह जायेगा। ऐसे में राहुल गांधी हर संभव प्रयास करते नजर आ रहे है।
ममता मोदी से प्रारम्भ से ही नफरत कर रही है। केंद्र की कोई भी योजना बंगाल में घुस नही सकती , चाहे वो जनकल्याणकारी ही क्यों ना हो, नफरत बताने के लिए यही काफी है।
कुछ भी हो जाये पर वो महागठबंधन का हिस्सा पहले बनेगी।
बबुआ ने तो इक्कठे करने ही शुरू कर दिए। मायावती ओर अखिलेश को up उपचुनाव की इस जीत से नई ऊर्जा मिली है।
हर चुनाव ओर उपचुनाव को देख लीजिये। बीजेपी का मत प्रतिशत बाकी अन्य दलों को शामिल करने के बाद बने मत प्रतिशत से कम है। कहा जा सकता है कि 2019 में अगर महागठबंधन बना तो बीजेपी की हार तय है।
इस जीत ने विपक्षी एकता के साथ विपक्षीयों को ये विश्वास दिला दिया कि 2019 में मोदी शाह की जोड़ी हारेगी।
ये समझ नही आता हर पार्टी ये कहते हुए मिलती है कि हम बीजेपी को रोकने के लिए कुछ भी कर सकते है, लेकिन कोई ये क्यों नही कहता कि हम देश के विकास के लिए कुछ भी कर सकते है।
अंत मे इतना ही कहूंगा कि चाहे कितने भी महागठबंधन बन जाये, दिल्ली को गठबंधन का ग भी नही पसन्द। यहां हर गठबंधन असफल रहा है, सरकारें टूटी है।
और अन्य बात यू ही नही मोदी शाह को मास्टर कम बैक खिलाड़ी कहा जाता है। मोदी को जनसमूह को अपनी और खींचना आता है। 2019 से ठीक पहले वो कुछ ऐसा कार्य कर सकते है जो सिर्फ बीजेपी को वोट देने के लिए काफी है।
तृतीय बात। कोई भी गठबंधन सफल नही रहा है। bjp ओर शिवसेना ही अच्छा उदाहरण है। हर पार्टी की अपनी अलग अलग विचार धारा है, महागठबंधन बनने की संभावनाएं कम है। सभी पार्टी एक मत पर नही आ सकती। तृणमूल ओर वाम पार्टी तो बिल्कुल नही। द्रमुक ओर अन्नाद्रमुक भी नही। tdp ओर एनसीपी भी नही। शिवसेना और कांग्रेस भी नही।
और महागठबंधन बन भी गया और विपक्ष 2019 जीत भी गए तो 2019 में ही दोबारा लोकसभा चुनाव होंगे।
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