यहां अफजल की बरसी मनाने पर फ्रीडम ऑफ स्पीच कहलाती है।
यहां आतंकियों के लिए देर रात 3 बजे सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खोले जाते है।
यहां पाकिस्तान जिंदाबाद अभिव्यक्ति की आजादी में आता है।
यहां हिन्दू भगवानो को गालियां निकाली जाती है।
ये सब कार्य सही है। लेकिन गोडसे को देशभक्त कहना गलत है।
जिसकी रगों में हिंदुस्तान की आजादी बहती थी वो देशभक्त नही है??? माना बापू की हत्या उसका महा अपराध है। इसके लिए उन्हें माफ नही किया जाना चाहिए, लेकिन उसके भी अपने तर्क थे कि बापू ने विभाजन रोकने की कोशिश नही की। विभाजन के लिए ना अनसन किया, ना कोई सत्याग्रह। जबकि बापू ने कहा था कि विभाजन उनके मृत शरीर के बाद ही संभव है।
राष्ट्रपिता की हत्या करने पर उसकी ये पदवी छीन ली जाए??
रावण ने भी सीता हरण किया था पर आज भी वो विद्वान कहलाता है। शिव तांडव के रचयिता रावण ही कहलाता है।
गोडसे राष्ट्रभक्त ही था, शायद इसलिए गांधी जी ने मरते मरते उसको सजा न देने की अंतिम इच्छा जाहिर की थी। ये मेरी निजी राय है। बाकी सबकी अपनी अलग विचारधारा।
और हां। इस लेख से मैं कोई हत्या को प्रोत्साहित नही कर रहा। देशभक्त ओर देशद्रोही को इंगित कर रही है ये पोस्ट। हत्या गलत है। चाहे जो भी तर्क हो।
Saturday, 18 May 2019
नाथूराम गोडसे। राष्ट्रभक्त या देशद्रोही।
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