जिओ क्रांति आने के बाद अब टीवी से किसी को कुछ मतलब नही। हम उस दौर से गुजर के आये है या यूं कहें कि हम वो अंतिम पीढ़ी है जिसने टीवी को न सिर्फ मनोरंजन का माध्यम बनाया बल्कि उसमे हमारी सांसे बस्ती थी। वो वक्त था जब केवल DD-1 ही था। जब मौसम में खराबी पर ऊपर छत पर जाकर एंटीना सुधारा जाता था। जब महाभारत और रामायण चलते थे तो पूरा पड़ोस इकट्ठा हो जाता था। दूसरे दिन गली क्रिकेट में बेटिंग उसी की आती थी जिसके घर मे टीवी होती थी। कुछ सीरियल तो मुझे आज भी याद है जिन्होंने उत्तर भारत को हर एपिसोड के लिए बेचैन किया है।
रंगोली
चित्रहार
शक्तिमान
जूनियर जी।
मेहर
आप बीती
हवाएं
डिटेक्टिव करण
राजा रेन्चु
नरगिस
कुंती
रामायण
महाभारत
विष्णु पुराण
रंगोली
चित्रहार
शक्तिमान
जूनियर जी।
मेहर
आप बीती
हवाएं
डिटेक्टिव करण
राजा रेन्चु
नरगिस
कुंती
रामायण
महाभारत
विष्णु पुराण
मैं जानता हूँ कि ये सब नाम सुनकर आप मुस्करा उठे, 😊क्योंकि ये सिर्फ सीरियल नही थे बल्कि लोगों की सुबह शाम की रोटी थी। इन्हें देखे बिना नींद नही आती थी।
आज टिवी की भारी दुर्गति देख रहा हूँ। मैं फिर से कह रहा हूँ टीवी अब शाम 7 से 9 बजे तक सीमित रह गया। सब मोबाइल की दुनिया मे जीने लग गए। अब टीवी रहे ना रहे, एंटरटेनमेंट तो फिर भी रहेगा। ❤️😘🙏
आज टिवी की भारी दुर्गति देख रहा हूँ। मैं फिर से कह रहा हूँ टीवी अब शाम 7 से 9 बजे तक सीमित रह गया। सब मोबाइल की दुनिया मे जीने लग गए। अब टीवी रहे ना रहे, एंटरटेनमेंट तो फिर भी रहेगा। ❤️😘🙏
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