Saturday, 2 November 2019

आज मेने कुछ नया हासिल किया : आधी रात में उस अधेड़ की मदद

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वो अधेड़ आयु के शख्श थे, जो रात 9:30 बजे पसीने से लथपथ अपनी स्कूटी को घीसकर ले जा रहे थे। #sj_thought
मैं उस वक्त एक रेस्टोरेंट पर खाना खाकर रूम की तरफ आ रहा था। कबीर सिंह का रिव्यू पढ़ते हुए। इस बीच मेने देखा कि लगभग 50-55 साल का वो शख्श स्कूटी के हेंडल थामे रास्ता नाप रहा है। उसके नैन बार बार मंजिल की तरफ जा रहे थे, ये उम्मीद लगाए की अब आ गया पेट्रोल पंप। स्कूटी का पेट्रोल खत्म हो गया था, लेकिन यहां से पेट्रोल पंप 1 km दूर था। 
मेने इग्नोर किया और कबीर सिंह के रिव्यू पर फोकस किया। लेकिन पता नहीं क्यों बार बार दिल कर रहा था कि कुछ पीछे छूट गया। मैं उससे लगभग 100 मिटर आगे आ गया था। मेने सोचा कि इस जगह मेरे पापा होते तो भी मैं क्या ignore करता।
मेरे पैर सरपट दौड़ पड़े उस अंकल की ओर। मेने उनसे बिना किसी बात किये बोला ' अंकल आप स्कूटी पे बैठिए, मैं लगाता हूँ धक्का' 
अंकल कुछ कहते उससे पहले ही मैं धक्का लगाने लग गया। उनको जिद्द कर बैठाया। और पेट्रोल पंप तक ले गया।
ये सांसे पता नही क्यों नही फूली। पता नही क्यों मैं नही हांपा, पता नही क्यों मेरे पसीने नही आये। शायद ये मदद की एक छवि थी। मैं 1 km दूर से फिर पैदल आया लेकिन मेरी रगों में खुशी दौड़ रही थी। मेरे चेहरे पर एक असाधारण मुस्कान थी। और फिर ये सोचकर खुश था कि रूटीन की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में मैने आज कुछ नया हासिल किया। और वो था - 'Thankyou

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