लैला-मजनू, पारो-देवदास, सलीम-अनारकली, मोदी-शाह के बाद अगर कोई जोड़ी फेमश हुई है तो वो है कॉपी-पेस्ट..
हम इसी कॉपी पेस्ट की दुनिया का हिस्सा है। कही न कही से कॉपी पेस्ट कर ही लेते है। ऐसा नही है कि थॉट हममे उत्पन्न नही होते, बस हम कोशिश नही करना चाहते। सोशल मीडिया पूरा कॉपी पेस्ट से भरा पड़ा है। हम सोचना ही नही चाहते। क्योंकि दिमाग तो दूसरों की लाइफ में दखल देने के लिए है। दुसरो की बाते बनाने के लिए है। थॉट कहाँ से उत्पन्न होंगे। सच बताऊ तो अगर कॉपी पेस्ट का ऑप्शन हटा दिया जाए तो आधे से ज्यादा ट्विटर यूजर कम हो जाएंगे। मेने खुद ने मेरी पोस्ट में देखा है कि लोग बिना thankyou बोले धड़ाधड़ कॉपी पेस्ट में लगे है। तो कहां था मैं ???
हाँ प्रैक्टिकल फ़ाइल पर।
हमारे डिपार्टमेंट में 80% लोग file भी internet से कॉपी पेस्ट कर रहे है। कुछ धुरंधर थे जिन्होंने कारण बताया कि ग्रैजुएशन में उन्हीने बड़ी मेहनत से अपने थॉट से file तैयार की और टीचर्स ने कॉपी पेस्ट वालो की तारीफ की तो दिल मायूस हो गया। ये सुनकर मेरे लफ्ज खामोश हो गए। कॉपी पेस्ट की प्रणाली को बढ़ावा जिम्मेदार लोग ही दे रहे है। हमारे ही पत्रकारिता में देखो, रिपोर्टर को खबर लिखने में जोर आता है तो उसने दूसरे पोर्टल की सेम खबर को कॉपी पेस्ट कर डेस्क पर भेज दिया। जैसे हमारे माथे पर बड़ा C लिखा है। जैसे हमको पता ही नही है की कोंन चीज़ कॉपी है। सीनियर एडिटर तो हेडिंग देखकर समझ जाते है कि ये कॉपी पेस्ट है।
तो मैं बता रहा था कि टीचर्स की वजह से लोग कॉपी पेस्ट करने में लगे है। जमाना है ही नही थॉट apply करने का। लोग तो p.hd भी कॉपी पेस्ट से ही हो रही है।
जाते जाते इतना बताना चाहूंगा कि ये कॉपी पेस्ट वाले वही लोग है जो फूंक कर जमीन पर गिराई सिगरेट को उठाकर पीते है। ,🙄😘