Saturday, 18 May 2019

रिजल्ट हमारा ओर चिंता पड़ोसियों को

मुझे यह समझ नही आता कि एग्जाम रिजल्ट अपना आ रहा हूं, ओर चिंता पड़ोसियों को क्यों होती है ?
जैसे ही रिजल्ट घोषित हुआ, पड़ोसियों के नव विद्वान बच्चे हाथ मे मोबाइल लेकर ' India Result' की साइट खोलते हुए नजर आते है।
रिजल्ट अच्छा आया तो दुखी होते है, 100 ग्राम खून कम हो जाता है। रिजल्ट बुरा आया तो घर आकर जानबूझकर जले पर नमक छिड़कने आते है, ओर अपनी कटाक्ष पूर्ण वाणी को प्रदर्शित कर बड़े ही आराम से पूछते है " रिजल्ट क्या रहा ?? ' 
जबकि हमको पता रहता है कि बन्दा पहले ही इंटरनेट की दुनिया से गुजरकर फिर घर पर आया है। 😃😃

हद तो तब हो जाती है जब 85% बनाने वाली की अगर 70% बनती है तो बड़े ही जोर से हंस के कहते है ' मिठाई खिला 😃😃
अरे भाई। यहां तो ऐसी तैसी हुई जा रही है और तुम लोग आग में घी डालने आ जाते हो।
चलो कोई ना। हमे भी फिर यही बोलना पड़ता है ' खिलाएंगे , सावन के प्रथम सोमवार को।
फिर बारी आती है घरवालों की। डांट फटकार का सिलसिला रुकता नही, जैसे हमने बलात्कार कर समाज मे घोर निंदनीय व घिनोना काम कर दिया😂
पर बेचारे पड़ोसियों के सामने क्या कहे । यही कहना पड़ता है " माको छोरो तो आईपीएल देखबा ने रेग्यो, नही तो अखबार में फ़ोटो आती। ' 😂😂

चलो कोई ना। लेकिन हैरत की बात तो तब होगी जब रिजल्ट के दिन बुआ की ननद की बेटी की भाभी का भी कॉल आ जाता है ' आपणे छोरा के कतनी बनी ?? " 😂😂
तब जोरदार गुस्सा आता है। साला जमी में झुककर प्रणाम करो, तब भी ढंग से आशिर्वाद नही देती । कभी जिंदगी में मेरे लिए कॉल किया नही। कभी मैं बीमार पड़ा तो कुशलक्षेम पूछी नही, ओर मेरे रिजल्ट की बड़ी चिंता है डायन को।
खैर हमे तो फिर भी जितनी बनी है उससे 5% ज्यादा बतानी है। होता कुछ नही, बस आत्मसंतुष्टि मिलती है।😃😃 हमने खोई भी तो 5 % है।
ज्यादा बोल गया तो क्षमा चाहता हूं, वैसे बिगाड़ेंगे तो आप मेरा वैसे

सिस्टर को इस तरह पागल बनाया मेने

मार्केलो : An incident with #unique_saloni 😃👇 
दरअसल हुआ यूं कि मार्केट से आते वक्त मैं घर पर आम लेकर आया था... इस सीजन में ये मौका था जब मैने आम खरीदे, इससे पहले kbhi ना खरीदे। आम की खरीद फरोख्त हमेशा पापा ही किया करते है। मुझे अनुभव नही की किस प्रकार के आम खरीदे जाए, इसलिए गलती हो गई और केरी जैसे कच्चे व कठोर आम मेरी भारतीय मुद्रा के बदले मेरी हथेली में स्थान पाकर सोभाग्यशील महसूस करने लगे। 
आम कठोर थे तो उनका आमरस बनाना उचित नही समझा और मेरी अंगुलियों ने चक्कू का प्रयोग किया और खच खच खच खच 15 टुकड़े कर दिए और सजा दिया प्लेट में। 😃
मेरे घर मे अगर किसी को आम सबसे ज्यादा पसंद है तो वो है मेरी छोटी सिस्टर #unique_saloni को। 
मुझे आम खट्टे लगे , मुझसे खाया नही गया, मेने सोचा हो गए पैसे बर्बाद, घर मे से तो कोई खायेगा नही, बस एक अंतिम कोशिश की ओर मेने आम की वो प्लेट सलोनी को ऑफर की।
उसने आम का टेस्ट लेकर असहजता महसूस की, बिल्कुल मेरी तरह 😃 पर मैने खुद के बचाव में साम दाम की नीति अपनानी जरूरी समझी ओर तपाक से बोल पड़ा
" ये दुर्लभ प्रजाति का फल है जो आम , केरी ओर केले के संगम से बना है, इसलिए इसका टेस्ट बिल्कुल अलग है। ये आम नही बल्कि अन्यफल है जो काफी महंगा मिलता है।"😃😃
उसने मेरी तरफ देखा और बिना किसी सवाल किए वो पल भर में ही मान बैठी की वाकई ये दुर्लभ प्रजाति का फल है।
उसने इसके बारे ओर अधिक जानकारी लेनी चाही मेने बताया कि इसका नाम मार्केलो है ( मुझे एन वक्त पर कोई नाम याद नही आया, मार्केलो एक फुटबॉलर का नाम है तो शायद तो लगा दी मेने भी किक 😃 ) 
मेने आगे बताया कि ये फल भारत मे केवल नागालैंड में पाया जाता है। और तमाम टेक्स और GST देने के बाद राजस्थान में ये बहुत महंगा बिकता है। मेने उसको बताया कि ताजा शोध के अनुसार इस फल में सर्वाधिक पोषक तत्व विद्यमान है जो हमारी स्मरण शक्ति बढ़ाते है 😂😂 जल्दी एलडीसी में सेलेक्शन हो इसके लिए इस फल का सेवन करो।
मैं फेंकता चला गया और वो मानती गई। उसको इस खट्टे आम में भी मेरी बातों को सुनकर रुचि दोड़ पड़ी और उसने कुछ देर में उस आम को साफ कर दिया 😃😃

इसके बाद वो कहाँ रुकने वाली थी, चली गई विकिपीडिया माताजी के पास। गूगल बाबा जिंदाबाद। उसने मार्केलो के बारे में गूगल पर सर्च किया पर रिजल्ट कुछ भी हासिल नही हुआ😂😂 
होता भी कैसे । मार्केलो कोई फल हो तब तो रिजल्ट आये 😃
मेने उसको बताया कि मैने कहा था ना कि ये दुर्लभ प्रजाति का फल है, गूगल को भी पता नही है।
😂😂😂 😂😂 
इत्ता बिलीव करती है मुझ पर मेरी सिस्टर 😃 
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद शायद अगली बार मैं उसको अच्छे आम खिलाऊँ तो भी नही खाये 😃😃😂

लोग क्या कहेंगे

लोग क्या कहेंगे'? 😒
3 भयसूचक शब्द। #sj_feeling
हम पूरी जिंदगी इस बेवजह परेशान करने वाले समाज और लोगों के दृष्टिकोण के अनुसार गुजरते है। हम अपनी लाइफ़ खुद अपने अनुसार नही जी सकते। ये समाज वही चाहता है कि हम वही रूढ़िवादी विचारधारा और परंपरागत रवैये से अपनी जिंदगी गुजारे। अगर आपने इस समाज के बनाये हुए वाहियात नियमो से जरा सी भी विचलित होने की कोशिश की तो आपका परिवार भी आपका साथ नही देता। बल्कि ताने कसता है " कलंक पैदा हुआ है घर मे।
इस समाज को आपके हर अलग क्रियाकलाप से प्रॉब्लम है। आपने बाल बड़े रखे है तो भी ये समाज अंगुली उठाएगा। सेविंग नही कराई तो भी। बाल घुंघरालु तो भी। पेंट की जगह जीन्स पहने तो भी। कमर के नीचे केफरी पहने तो भी। 
लिव इन रिलेशनशिप का कानून है ना भारत मे। पर आपने अगर किसी से प्रेम किया तो भी। 😶
हमे पता है आगामी 20 सालों बाद सभी इस समाज के दरकियानुसी सोच के दरकिनार कर आधुनिकता का चोला पहनेंगे। पर एक हमारी ही पीढ़ी है जिसे कदम कदम पर संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। यही पीढ़ी जिसने 1990 से 2005 के बीच जन्म लिया है। हम 21वी सदी के प्रारंभिक बच्चे रहे है और वो 20 वी सदी के रूढ़िवादी लोग है। विचारधाराओ में टकराव तो बनता है। दुख होता है पर मैं खुद समाज के नियमो को तोड़ नही सकता। अपनी फैमिली की खुशियों के खातिर।
किसी ने मुझसे कहा था कि " ज्योति तुम अगर बेहद गरीब होते तो कोनसा समाज तुमको रोटियां देने आ जाता। समाज मे उसकी ही इज्जत है, जिसके पास पैसा है। बिना पैसे वाले तो ऐसे ही समाज से बेदखल रहते है। :- Priyanka Goutam Bjp 
जिंदगी भर " लोग क्या कहेंगे' रटते जाएंगे, 50 साल की उम्र के बाद हमे पता लगेगा कि साला लोग तो हमारे बारे में सोचते ही नही थे। 😯😯
प्रेरणा : Nupur Jaroli mam

जब St-Sc act लगा तो सोशल साइट पर गुस्सा इस तरह निकाला मेने

Starling Jyoti

जिस किसी भी शक्स को लगता है कि 2019 में मोदी जी हार जाएंगे तो हिन्दू खतरे में आ जायेगा, जरा #sj_feeling पर गौर कीजिये।
Bjp 1980 में गठित पार्टी है। तो क्या तुम्हारे बाप दादा 1980 से पहले हिन्दू नही थे क्या ??? 
2014 से पहले हिंदू खतरे में नही हुआ और अब खतरे में पड़ गया। भाईसाहब हिन्दू में खतरे में नही, तुम्हारी कुर्सी खतरे में है। 
सबको पता है किसी के नोटा दबाने और कोंग्रेस को समर्थन करने से भी मोदी को 2019 में कोई रोक नही सकता। उनका PM बनना तय है। पर हिंदुओ के ठेकेदारों, हमे पाठ ना पढ़ाओ। BJP को वोट दिया हालात सुधारने के लिए, यहां तो बिगड़ते जा रहे है। बेवकूप भक्तों इस बार मोदी लहर नही नोटा नहर बह चली है। 
सारि योजनाएं दलितों, अल्पसंख्यकों, और कुछ और वर्ग के लिए बनाते हो, झुटे केस में फ़साने का act बनाते हो, ओर जब हम अपना अधिकार मांगते है तो कहते हो " हिन्दू खतरे में है ' । हिंदुओं के खतरे में होने की पंक्ति केवल सवर्णो को ही सुनाई जाती है, क्योंकि हम बेवकूप है। जल्दी ही भावुक हो जाते है। संगठन व समाज को छोड़ पहले देश को देखते है। उस मूर्ख देश को देखते है जिसमे धीरे धीरे हमारा बहिस्कार हो रहा है। पतन हो रहा है। नारकीय जिंदगी हो रही है। उसके बावजूद हम कहते है " फिर भी दिल है हिंदुस्तानी। 
एक गायत्री मंत्र भी नही आता वो मूर्ख लोग हमें हिन्दू होने का पाठ पढ़ा रहे है, हमे बता रहे है कि कश्मीर से हिंदू कैसे गायब हुआ। भक्तों ! जरा ये भी बतादो की कितनी हिन्दू बस्तियां बसाई तुम लोगों ने कश्मीर में देशद्रोही पार्टी के साथ गठबंधन करके। कितने रोहिंग्या को बाहर निकाला। क्या वो 40 लाख घुसपैठी बांग्लादेश चले गए क्या?? कितने पाकिस्तानी सैनिकों के सर काटकर लाये। धारा 370 हट गई क्या?? राम मंदिर के लिए तो फैसला सुप्रीम कोर्ट देगी पर ST-SC ACt के लिए सुप्रीम कोर्ट का अपमान। बहुमत जुड़ा देंगे। दोगले लोगो। विकास के नाम पर वोट मांग नही सकते तो हिंदुओ कों खतरे में डाल दिया। हिन्दू मुस्लिम पर राजनीति कर वोट मांगते हो?? 
फेकू भाईसाहब आने वाले है राजस्थान में रैली करने। इस बार बादल से तार खींचकर पानी निकालने का आईडिया बताएंगे। 
एक ओर बात। मैं कोंग्रेसी नही हूँ। ना कोंग्रेस को वोट देने की बात कह रहा हूँ। 
एक ओर बात। भक्तो को बुरा लगे तो निकल जाना, वरना सोशल साइट ऑनलाइन थप्पड़ मारना आता है मुझे।

सनातन संस्कृति का असली रूप : दक्षिण के लोग

कहना गलत नहीं होगा कि सनातन धर्म का वास्तविक - मूल स्वरूप केवल दक्षिण भारतीयों में हीं शेष है। उनकी पूजा विधि, त्यौहार, कर्मकांड यहां तक कि देवता भी प्राचीन काल से वहीं है। विज्ञान ,तकनीक, गणित , कला ,संगीत सबमें कहीं न कहीं दक्षिण भारतीय उत्तर भारतीयों से कहीं आगे होते है, किन्तु इन सबके बावजूद आधुनिकता के नाम पर ये लोग न अपनी परम्पराएं तोड़ते, न अपनी धार्मिक प्रवृत्ति को छुपाते और न ही सेक्युलर दिखने के फेर में दरगाहों या चर्च के चक्कर लगाते। बल्कि दक्षिण भारतीय दुनियां के किसी भी कोने में रहें वहां अपना एक समाज खड़ा कर लेते हैं , और शुरुवात से ही अपने बच्चों को अपने धर्म और संस्कृति से जोड़ते है। एक तरफ जहां मध्यप्रदेश, दिल्ली,पंजाब, बिहार ,उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में भजन और श्लोकों का स्थान फूहड़ फिल्मी पैरोडियों और कानफोड़ू गीतों ने ले लिया है, वहां आज भी दक्षिण के भजन - गीत सुनकर मन को असीम शांति मिलती है, आज भी दक्षिण के ही गायक - गायिकाओं द्वारा आपको संस्कृत श्लोक - मन्त्र या स्त्रोत्र सुनने को मिलेंगे, बाकी जगह तो देसी भाषा, देसी भाव (जिसमें भक्ति भाव तो रत्ती भर भी नहीं होता) और विदेशी संगीत ही देवपूजा में बजता दिखता है। दक्षिण भारत की इसी संस्कृति को देखकर कई वर्षो से कांग्रेस और कम्युनिस्ट सरकारे वहां बड़ी तादाद में धर्म परिवर्तन करवा के ईसाइयत को बढ़ाती रही है, तो कभी आर्य और द्रविण थ्योरी के नाम पर फूट डालने का प्रयास करती रही है। केरल तो इनकी सनातन संस्कृति के विरुद्ध रची जा रही साज़िशों का सबसे बड़ा केंद्र रहा है , बावजूद इन सबके आज "सबरीमाला" में जिस तरह केरल वासियों ने एकता दिखाते हुए इन फ़र्ज़ी भक्तों और फ़र्ज़ी सेक्युलर्स (जो केरल के ही एक बिशप द्वारा एक नन के साथ ब्लात्कार का मौन समर्थन करते है, तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रिपल तलाक को बैन करने का विरोध भी करते है) को रोका है यह इनके गाल पर एक करारा तमाचा है।काश यह हिम्मत दक्षिण भारतीयों ने पहले दिखाई होती तो सनातन संस्कृति और भक्तिकाल के उद्भव का केंद्र रहे दक्षिण भारत को आज ये दिन भी न देखना पड़ता। काश अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं के प्रति ऐसी ही जागरुकता देश के बाकी हिस्सों में भी होती। काश भक्ति के नाम पर डीजे पर फूहड़ - भद्दे गाने बजाकर नाचने वाले सच मे सनातन धर्म के मूल को समझते। काश खुद को आधुनिक दिखाने के फेर में अपनी धार्मिक प्रवृत्ति छुपाने में कोई संकोच न करता....काश अपनी संस्कृति और धर्म पर इतना गर्व और विश्वास होता कि कुछ मिल जाने के लालच में कभी चर्च, कभी दरगाह या कभी किसी "नए जन्मे भगवान" के दर पर मत्था टेकने की जरूरत नहीं पड़ती....काश 

सच्चाई का पजामा �� : एक किस्सा ऐसा भी

ये 2016 की बात है जब मै news 91 उदयपुर में रिपोर्टर था। अपनी न्यूज़ को स्क्रिप्ट कर के भी मैनेजमेंट को सौंपना पड़ता था।
इस बीच मेरी एक न्यूज थी जिसमे मुझे स्क्रिप्ट में type करना था - " ट्रिपल तलाक मामले को समुदाय के लोग सच्चाई का अमली जामा पहनाना चाहते है। "
और मेरे से type हो गया - " सच्चाई का पजामा पहनाना चाहते है ' ���

बस फिर क्या था, एंकर ने खबर पढ़ दी और चल पड़ी tv पर ।

बाद में घर पर पहुंचने के बाद सर का कॉल आया -" सच्चाई का पजामा amazon पर दिखाई दे तो एक आर्डर कर देना।
���

सचिन तेंदुलकर

24 फरवरी 2010. उस साल मैं 9th पढ़ता था। #sj_feeling
तृतीय टेस्ट लग रहे थे। एक्जाम देकर आया था कि टीवी पर नजर पड़ी। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत का दूसरा वनडे मैच। मैच का 46 वां अवर खत्म हुआ जिस पर सचिन 196 पर मौजूद थे। अगले 2 ओवर सचिन के पास बहुत कम स्ट्राइक आई। धड़कने 172 प्रति सेकेंड पर चल रही थी। वनडे क्रिकेट के 39 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा था कि कोई 199 तक पहुंच गया। सईद अनवर के 194 के रिकॉर्ड को तोड़ गया। 50 वे अवर की तीसरी बॉल पर वो समय आया जब ग्वालियर की धरती से ये महा रिकॉर्ड बना। 200 का जादुई आंकड़ा पार हुआ। स्टेडियम के साथ पूरा देश हिल गया। मानो धरती झूम सी उठी। उस वक्त कमेंट्री बॉक्स में बैठे रवि शास्त्री ने कहा था कि ' इस ग्रह पर ऐसा करने वाला ये पहला व्यक्ति' ।
ताजुब होता है कि उस इंसान को आज लोग देशभक्ति सीखा रहे है। पाकिस्तान के खिलाफ खेलने के बयान पर। सीरियसली। क्रिकेट के भगवान को देशभक्ति सीखा रहे है।

सोशल मीडिया से प्रारंभ होगा युद्ध

युद्ध का आरंभ सोसल मीडिया से हो रहा है। #sj_feeling 
हर कोई आक्रामक। तेवर ऐसे की 2019 में पाकिस्तान दुनिया के नक्शे से गायब हो जाएगा। बच्चा बच्चा बोल रहा है युद्ध करो युद्ध करो।
पर मेरी धड़कने तेज़ हो जाती है। युद्ध समाप्ति के 50 वे दिन की तस्वीर देखकर। हज़ारो कोख़ उजरेगी। हज़ारो मांग सुनी हो जाएगी। हज़ारो राखियां कलाई ढूंढेगी। कई भूभाग 2019 का इतिहास बन जाएंगे। किताबों में छप जाएंगे। आम नागरिक बिखर जाएंगे। महंगाई 49 वे आसमान पर होगी। संसाधन जुटाने के लिए पैसे नही होंगे।
पाकिस्तान को भारत से युद्ध करने के लिए चोरी छिपे फंड मिलेगा, पर भारत खुद अपना फंड लगाएगा। आर्थिक मामले में एक देश 103 वे नम्बर पर ओर एक 116 वे नम्बर पर। ऐसे बनेगा भारत महाशक्ति???
उत्साह देखो लोगो का हमे युद्ध का इंतजार है। युद्ध के परिणाम का इंतजार नही??? 
बेशक भारत युद्ध जीत जाएगा। पर फिर भी हार जाएगा। बेशक युद्ध के बाद हर भारतवाशी के चेहरे पर मुस्कान होगी। पर फिर भी उदासी होगी। 
मेहरबानी करके मेरे विचारों से मुझे देशद्रोही करार मत देना भाइयो! आप युद्ध देखना चाहते हो और मैं भारत को महाशक्ति देखना चाहता हूं। आप भारत की तुलना 2 कोड़ी के पाकिस्तान से करते हो और मैं अमेरिका और चीन से करना चाहता हूं।

एक महाशिवरात्रि ऐसी भी

कैसा feel होगा जब पूरे दिन भर आप किसी संस्था का हिस्सा बने हुए है ( duty time) . पूरे दिन भर भूखे पेट कर्तव्य निभा रहे है ( महाशिवरात्रि का व्रत).. भोले के दर्शन की चाह में रात साढ़े 8 से मंदिर के बाहर लंबी कतार में लगे है... ओर डेढ़ घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद जैसे ही मंजिल के बेहद करीब हो, मंदिर के दरवाजे बंद हो जाये ????

ऐसी ही ट्रेजिडी आज हुई। ऐसा लगा 32 gb का वीडियो डाऊनलोडिंग में था और 31.9 gb पर error दिखा दिया।
By the way हर हर महादेव 🙏🙄😘

शिक्षा से ज्यादा मशाला खबरों को तवज्जो देता है भारतीय मीडिया

बात 2 साल पुरानी है। #sj_feeling वो एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के पत्रकार रह चुके है। #NameHide 
एक विषय पर समाचार लिख रहे थे - 'शहर में दिखाई दिया पेंथर '
उन्होंने अपनी स्क्रिप्ट में पैंथर को हाईलाइट कम किया और जल, जमीन, ओर जंगल को ज्यादा हाईलाइट किया। वे टाइप कर रहे थे कि बाघ शहर की ओर मुंह क्यो मार रहे है। क्योंकि जंगल खत्म होने जा रहे है। जंगलो में पानी की कमी होती जा रही है इसलिए जंगली जीव शहर की ओर आ जाते है। " बस ये थी उनकी स्क्रिप्ट।
उन्होंने मुजसे भी इस विषय पर स्क्रिप्ट लिखने को बोला। वो देखना चाहते थे कि मैं क्या लिखता हूँ। ओर मेने लिखा -
" शहर के इस रिहायशी इलाके में पैंथर की खबर से खलबली मच गई। आनन फानन में वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पैंथर की तलाश में जुट गई। पैंथर के पगमार्क से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। जाने कब खूंखार पंजे वाला बाघ किस पर हमला कर दे. नगर के बाशिन्दे अब तो घर से बाहर निकलने से भी दे रहे है।'

अब सवाल खड़ा होता है कि खबर किसकी ज्यादा चलेगी ??? 
मेरी स्क्रिप्ट में जल, जंगल, जमीन की बात नही थी। पानी और हवा की बात नही थी। यहां तड़क भड़क ज्यादा थी। मसाला ज्यादा डाला गया। क्योंकि लोगो को वो ही पसंद आता है। 
कहना ये चाहता हूं कि गलती भारतीय पत्रकारिता की नही है जो रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, जल, जंगल की बात करे। असल मे आज के जमाने के लोगो को ये सब चीज़े पसन्द ही नही आती है। वो नही पढ़ना चाहते ये ज्ञान की बाते। उनको बस मसाला चाहिए। चाहे खबर हो, मूवी हो या खाना। पत्रकारिता अब रुपयों पर टिकी है। यहां कोई स्वंतंत्रता आंदोलन नही हो रहा की जनजागृति करे। यहाँ TRP कि अंधी दौड़ पैसों के लिए है। क्योंकि अब ये व्यवसाय है।

कृपया अब कोई ना कहे कि पत्रकारिता का स्तर घट गया। स्तर घटने में भी जनमानस का बहुत बड़ा हाथ है। जल जमीन जंगल की बात करने पर कोई खबर को नही पढ़ता, नही सुनता। तो फिर काहे की चलेगी खबर। लोग खुद पसंद नही करते। चाहे चला कि देख लीजिए। देखते है कितने व्यूज मिलते है। मीडिया वालों के भी बाल बच्चे है, उन्हें ज्ञान नही बांटना। बल्कि खबर दौड़ानी है।

कॉन्फिडेंस से अंग्रेजी बोलती है मेरी माँ

भाषा अल्फाज ही नही, भावना भी है। देख ही लीजोये, अपनी टूटी इंग्लिश की बदौलत विदेशी मेहमानों का दिल जीत लेती है मेरी माँ। बेशक Where are you from की जगह ' You come where ' बोलती है। have u visited whole india की जगह you walking idhar udhar बोलती है। और कभी कभी तो कम्युनिकेशन के लिए कोई सेन्टेश याद नही आ रहा हो तो उनको मुह पे ही ' यु आर स्टुपिड ' बोलती है। कुछ भी हो पर वो एक परफेक्ट संवाद स्थापित करती है जंहा अल्फाज कम और अहसास ज्यादा होता है। पढ़े लिखे MBA, B.ed धारी लोगों में इतना कॉन्फिडेंस नही होगा जितना मेरी माँ में है। ये अपनी टूटी फूटी इंग्लिश की बदौलत विदेशी मेहमानों का सत्कार करती है.. लोग इन विदेशियों को एड्रेस बताने में भी कतराते है.. सोचते है कि इंग्लिश खराब हो जाये तो आस पास के लोग हम पर हसेंगे। ऐसे वक्त पर मेरी माँ एड्रेस ही नही बल्कि उनकी अच्छी फ्रेंड बन जाती है.. और वो मम्मी के साथ फोटो कैमरे में कैद किये बगैर नही जाते। पर्टिकुलर 4-5 सेन्टेश से ये अथितियों को बता देती है कि इंडियन दिल के बहुत अच्छे है।

भीड़ में खड़ा होना मकसद नही 😂😂 हद हो गई

ना इनको राजNiti की समझ.. ना इनकी ऐसी एक्टिंग रुचि की बॉलीwood में एंट्री मिले .. ना इनको ये पता की नो बॉल किसे कहते है, ना इनको मालूम कि शेयर बाजाR और सेंसेक्स क्या है... ना इनको मालूम कि 16 का vर्गमूल क्या होता है.. ना इनको पता कि नासा क्या बला है.. है इनकी फटीली आवाज.. IAS की फूल फॉर्म पूछने पर इनकी आंखे चौड़ी हो जाती है.. tiktok का तो नाम भी नही सुना होगा.. यूट्यूB इनका खोलो तो भोजपुरी डांस या प्रैंक वीडियो की भरमार मिलेगी। ability के नाM पर zeरो. 
80 रुपये का लाल स्टिक वाला चश्मा लगाकर, दोस्त की FZ बाइक पर बैठकर फोटो खिंचवाकर स्टेटस लगाएंगे -
" भीड़ में खड़ा होना मकसद नही है मेरा।
मुझे वो बनना है, जिसके लिए भीड़ बनी है '

घनश्याम तिवाड़ी। क्या से क्या हो गए देख देखते

सियासत किस ओर करवट लेती है, ये कल देखने को मिला। #घनश्याम_तिवाड़ी
कभी वो राष्ट्रवाद का प्रखर नेतृत्व करते थे। 
कभी वो RSS का प्रचार किया करते थे।
कभी वो राजस्थान में भाजपा के स्थापना करने वाले नेताओं में गिने जाते थे।
कभी वो आपातकाल में कोंग्रेस का विरोध करते थे, जेल जाने वालों में सबसे आगे रहते थे। 
कभी वो अशोक गहलोत को आंखे दिखाते थे।
कभी वो bjp के दिग्गज नेता कहलाते थे।
आज वो बदल गए। पलट गए। भटक गए। हट गए।

Ipl fever

IPL_Fever

Office से बसस्टॉप की दूरी 200 मीटर थी। इस दूरी पर 15 जने भागते नजर आए। कारण था KKR ओर Delhi के बीच के सुपर ओवर को देखना का। इस रोचक मुकाबले के रोचक सुपर ओवर ने दर्जनभर से ज्यादा कर्मचारियों को आफिस की दीवारो पर लगी LeD पर झांकने को मजबूर कर दिया। वक्त का पता ही नही चला कि बस भी जाने वाली है कि नही। बस के रवाना होने का टाइम fix 12:15 AM होता है। सुपर ओवर 12:14:40 पर खत्म हुआ। 20 सेकंड पहले। 
ये आईपीएल फीवर ही है जिसमें सुनसान आधी रात को चप्पलो ओर जूतों की दौड़ने की चटाक चटक की आवाज से सड़को ने शोर मचा दिया।

वही इतिहास रचता है जो दुनिया से अलग होता है

कल मेरे एक मित्र ने मुझसे कहा कि ' जो दुनिया के अनुसार नहीं चलता वो मेंटल ही कहलाता है। उनके दिमाग की नसें गायब रहती है। ' 
#Sj_feeling
ये तो तय है कि दुनिया के सभी लोग एक जैसे नही होते। सबकी जीवनशैली अलग अलग होती है। कोई खुलकर सामने होता है तो कोई बन्द किताब सा सिकुड़ा होता है। ये दुनिया की प्रॉब्लम है की वो उनकी भावनाएं समझे बगैर उनका मूल्यांकन कर लेते है। अगर कोई लड़की 10 लड़को के बीच थड़ी पर चाय पी रही है तो वो मेन्टल नही, अपना खुलापन दर्शा रही है। जिस जिस ने युग को बदलने के लिए कुछ अलग किया लोगो ने उसे पागल घोषित कर दिया। अजीब हरकत करने वाला अल्बर्ट आइंस्टीन ही दुनिया का सबसे तेज़ दिमाग वाला इंसान बना बैठा है अब तक। दूरबीन के आविष्कारक गेलिलियो ने सबसे पहले ये कहा था कि पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है। इस सिद्धान्त पर उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुना दी। जो दुनिया के अनुसार चलेगा तो दुनिया खुश रहेगी। जो अलग है, यूनिक है, अलग सोचता है, अलग करता है तो दुनिया उसे मन्दबुद्धि घोषित कर देगी। एक बात और -
" वही इतिहास बनाते है जो सीरफरे होते है।
समझदार तो बस उन्हें किताबों में पढ़ते है। ' 🙏😘😘