Saturday, 18 May 2019

माँ ! एक शब्द में पूरा ब्रमांड

उसको कुछ बताने कि जरूरत नहीं, वो आपकी आंखे पढ़ेगी और पहचान जाएगी कि क्या चल रहा है आपकी लाइफ में. 
मैं जब भी घर जाता हुं तो वो मेरे पंसद का खाना बनाती है चाहे घर में उस खाने को कोई पंसद करे या ना करें.
वो एक ही है जो फोन कर पूछती है कि कुछ खाया कि नहीं खाया. 
ज्यादा मोबाइल पर चिपका रहुं तो वो कहती है - आग लगा दुंगी इस मोबाइल को..दिनभर चिपका रहता है.
जब कुछ गुस्ताखी हो जाए हमसे तो वो कहती है - अपने बोरियां बिस्तर समेट और निकल जा घर से, देखती हुं कौन रोटी देता है. और फिर पूरे दिन भर रोती रहती है. उसकी ये डांट भी अब बहुत सताती है.
वो बचपन में काला टीका लगाती थी, ताकी नजर ना लगे.
वो अपनी टूटी-फुटी इंग्लिस के बदौलत पूरे घर को हंसाती है. 
शब्द नहीं है कि उसके लिए कुछ लिख सकूं.. वो मेरा आदर्श है, प्रेरणा है, ताकत है. सारी दुनियां देख ली, लेकिन जो सुकुन तेरे पल्लू में है, वो कहीं नहीं. मेरा घर स्वर्ग है. भगवान से प्रार्थना है मुझे अगले जन्म फिर यहीं आंगन मिले. यहीं कोख मिले. यहीं मां मिले. और आप सदा खुश रहे. 
सीधा हुं, सादा हुं, मैं उसके लिए अच्छा हुं.
मैे कितना भी बड़ा हो जाउं मां, मैं अभी तुम्हारे लिए बच्चा हुं.

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