सभी फेसबुक के सम्पादक ध्यान दे) 😏
पहले सब मेरे फ्रेंड थे...#sj_feeling
सभी विचारधारा वाले लोगो के साथ उठना बैठना था... फिर चढ़ा मुझे अभिव्यक्ति की आजादी का नशा.. ओर मैं फ़ेसबुक पर राजनीतिक पोस्ट करने लगा.. मोदी जी के सपोर्ट में कुछ लिख दूं तो मेरे कोंग्रेसी समर्थक मित्र मुँह फुला लेते। पद्मावत फ़िल्म का समर्थन कर दूं तो राष्ट्रवादी मुझे देशद्रोही करार दे देते।
कठुआ रेप केस पर कुछ बोलू तो हिंदू नाराज हो जाते।
ओवेसी पर टिप्पणी करु तो मुस्लिम साथी अनफ्रेंड कर देते।
अब जीवन का यथार्थ मालूम हुआ है।( बरगद के पेड़ के नीचे नही यार) की भाड़ में जाये दुनिया, पहले खुद तो सम्पादक बन जाऊं. फिर फेसबुक पर आऊंगा। 😃
मेरे सभी FB संपादक भाईसाहब। ना वामपंथ आपको रोटी देगा, ना मोदी जी। बीवी को फेसबुक की पोस्ट से पॉकेट मनी नही दे सकते। ये आप ओर हम लोग है जो आज के 20 साल बाद भी एक दूसरे की मदद करेंगे। आप फेसबुक पोस्ट से हितों में टकराव कर लेंगे तो घंटा 20 साल तक रिस्ता चलेगा। 20 मिनट नही लगेंगे फुर्र होने में। 🙄🙄
सबकी अलग अलग विचारधारा है। सब अलग परिवेश में जन्म लिए है। मेरा एक बहुत परम मित्र था। अमर उजाला में काम करता है। इतना कि एक थाली में खाना खाते थे। वो सवर्णो के खिलाफ लिखने लगा तो हमने उसकी अपनी लाइफ से छुट्टी कर दी। उसकी संपादकत्व ने हमारे दिल मे नफरत पैदा कर दी।
ज्यादा हिंदुत्व की पोस्ट, ज्यादा इस्लामपन दिखाना, ज्यादा भक्त बनना, ज्यादा चमचागिरी आपकी खुद की इज्जत ही घटाती है। धन्यवाद।
Saturday, 18 May 2019
फेसबुक पोस्ट से गिरते रिस्ते
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